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आत्मकेंद्रित प्रवृत्ति वाले लोगों को अक्सर लोग कर देते हैं बहिष्कृत, अध्ययन में हुआ खुलासा 

आत्मकेंद्रित प्रवृत्ति वाले लोगों को अक्सर लोग कर देते हैं बहिष्कृत, अध्ययन में हुआ खुलासा 

लेखन सयाली
Aug 11, 2025
02:35 pm

क्या है खबर?

आपके आस-पास कई ऐसे लोग होंगे, जो केवल अपने आप से प्यार करते हैं। ऐसे लोगों को आत्मकेंद्रित कहा जाता है, जो केवल खुद के बारे में सोचते हैं और सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश में जुटे रहते हैं। ऐसे लोग कई लोगों की आखों में खटकते हैं, क्योंकि वे अपने साथ नकारात्मकता लेकर आते हैं। इसी बीच एक अध्ययन किया गया है, जिससे सामने आया है कि आत्मकेंद्रित लोगों को अक्सर बहिष्कृत कर दिया जाता है।

अध्ययन

रोजाना अलग-थलग महसूस करते हैं आत्मकेंद्रित लोग

इस अध्ययन को 'जर्नल ऑफ पर्सनालिटी एंड सोशल साइकोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसका नेतृत्व क्रिस्टियन एम बटनर ने किया था। अध्ययन के मुताबिक, आत्मकेंद्रित व्यक्ति अक्सर अपने दैनिक जीवन में खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं। यह संबंध इस बात पर निर्भर करता है कि वे सामाजिक परिस्थितियों को कैसे देखते हैं और दूसरे लोग उन पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। आइए इसके विषय में विस्तार से जानते हैं।

प्रक्रिया

अध्ययन से सामने आए 3 मुख्य तंत्र

शोधकर्ताओं ने अहंकार को बहिष्कार से जोड़ने के लिए 3 तंत्रों की पहचान की थी। इनमें पहला तंत्र यह था कि नार्सिसिस्ट लोग बहिष्कार के संकेतों की तरफ ज्यादा संवेदनशील होते हैं। दूसरा तंत्र कहता है कि उनका व्यवहार दूसरों को वास्तव में उन्हें बहिष्कृत करने के लिए प्रेरित करता है। तीसरे के मुताबिक, बार-बार बहिष्कृत होने से समय के साथ आत्मकेंद्रित लक्षण और भी मजबूत हो सकते हैं। इसके बाद ही सर्वेक्षण और जांच की शुरुआत की गई।

पहला अध्ययन

14 सालों तक 77,000 प्रतिभागियों की हुई थी जांच

अध्ययन को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण किए गए थे और दैनिक डायरी डाटा का भी इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, 14 सालों तक 77,000 से ज्यादा प्रतिभागियों की जांच भी की गई थी। पहला अध्ययन राष्ट्रीय स्तर के जर्मन पैनल सर्वेक्षण पर आधारित था, जिसमें 1,592 वयस्कों ने एक प्रश्नावली पूरी की थी। उन्होंने बताया कि पिछले 2 महीनों में उन्होंने कितनी बार अलग-थलग महसूस किया। प्रतिभागियों ने अपने आत्म-सम्मान का भी आकलन किया था।

अन्य अध्ययन

कैसे किए गए थे अन्य अध्ययन?

दूसरे अध्ययन में 500 अमेरिकी प्रतिभागियों ने आत्ममोह पैमाने को पूरा किया और एक मोबाइल ऐप का उपयोग करते हुए 14 दिनों में बहिष्कार के दैनिक मामलों की रिपोर्ट की। तीसरे अध्ययन में साइबरबॉल प्रतिमान का उपयोग किया गया, जहां प्रतिभागियों ने पूर्ण या आंशिक बहिष्कार का अनुभव किया और उनके स्तर का आकलन किया। चौथे अध्ययन में रोजमर्रा के सामाजिक परिदृश्यों को देखा गया, ताकि यह जांचा जा सके कि क्या आत्मकेंद्रित लोग आम संकेतों को बहिष्कार समझते हैं।

जांच

इस तरह पुरे हुए 3 आखिरी अध्ययन

5वें अध्ययन में प्रतिभागियों को टीम के सदस्यों की लिखित प्रोफाइल दी गई, जिसमें सभी की आत्मप्रशंसा का पैमाना अलग-अलग था। इसके बाद उनसे पूछा गया कि वे इन लोगों से बात-चीत करने में कितनी दिलचस्पी रखते हैं। 6ठे अध्ययन में प्रतिभागियों ने आत्ममुग्धता के लक्षण दिखाने करने वाले लोगों के छोटे वीडियो देखे। 7वें और आखिरी अध्ययन 7 में न्यूजीलैंड के दृष्टिकोण और मूल्य अध्ययन के 14 सालों के अनुदैर्ध्य डाटा की जांच की गई।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

अध्ययन के मुताबिक, आत्मकेंद्रित व्यक्ति कम आत्मप्रशंसा वाले व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा बार बहिष्कृत किए जाते हैं। आत्मकेंद्रित लोगों ने अध्ययन के दौरान अपने द्वारा अनुभव किए गए बहिष्कार प्रकरणों की संख्या को भी थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर बताया। यह भी सामने आया कि आत्मकेंद्रित व्यक्ति स्पष्ट रूप से बहिष्कार के संकेतों को समझ नहीं पाते हैं। आत्मप्रशंसा ने भविष्य में बहिष्कार में वृद्धि की भविष्यवाणी की और एक साल बाद आत्मप्रशंसा के लक्षणों में भी वृद्धि की भविष्यवाणी की गई।