हमारा दिमाग सिर के माध्यम से उत्पन्न करता है प्रकाश, नए अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
मस्तिष्क मानव शरीर का सबसे जटिल अंग है, जो विचारों, भावनाओं और गति आदि को नियंत्रित करने का काम करता है। यह विभिन्न अंगों से जानकारी प्राप्त करता है, उसे संसाधित करता है और उचित प्रतिक्रियाएं देता है। अब एक नए तंत्रिका विज्ञान अध्ययन से सामने आया है कि हमारा दिमाग सिर के माध्यम से प्रकाश उत्पन्न करता है। यह प्रकाश बेहद हल्का होता है, जिसे आखों से देखना संभव नहीं होता है।
अध्ययन
3 विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन
यह अध्ययन अल्गोमा विश्वविद्यालय, टफ्ट्स विश्वविद्यालय और विल्फ्रिड लॉरियर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। इसे आईसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है और इसका नेतृत्व हेले केसी और निरोशा मुरुगन नाम के वैज्ञानिकों ने किया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सिर से निकलने वाला यह अति-मंद प्रकाश पूरे अंधेरे में रिकॉर्ड किया जा सकता है। यह प्रकाश आखें बंद करने या ध्वनि सुनने जैसे कार्यों से बदल सकता है।
प्रकाश
किस प्रकार का होता है यह प्रकाश?
सभी जीवित ऊतक थोड़ी मात्रा में प्रकाश उत्पन्न करते हैं, जिसे अति-क्षीण फोटॉन उत्सर्जन कहते हैं। ऐसा तब होता है जब उत्तेजित अणु निम्न ऊर्जा अवस्था में लौट आते हैं और एक फोटॉन पैदा करते हैं। यह प्रकाश मानव आखों से देखी जाने वाली चीजों से लगभग 10 लाख गुना मंद होता है। हमारा दिमाग अन्य अंगों की तुलना में ज्यादा मंद प्रकाश उत्पन्न करता है, क्योंकि इसमें ऊर्जा का अधिक उपयोग होता है।
प्रक्रिया
20 लोग बने थे अध्ययन का हिस्सा
अध्ययन के जरिए शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि क्या मंद प्रकाश उत्सर्जनों का उपयोग मस्तिष्क की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है। शोध के लिए 20 वयस्कों को चुना गया और उन्हें अंधेरे कमरे में बैठकर उनके मस्तिष्क की गतिविधि और मंद प्रकाश को मापा गया। उनके सिर के पश्चकपाल और टेम्पोरल क्षेत्रों के पास फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब लगाई गईं, जहां दिमाग दृश्यों और आवाजों को संसाधित करता है। तीसरे सेंसर ने प्रकाश को रिकॉर्ड किया।
जांच
इस तरह किया गया था शोध
प्रतिभागियों को 10 मिनट के रिकॉर्डिंग सत्र में शामिल किया गया, जिसमें 5 स्थितियां थीं। पहले वे आखें खोलकर बैठे और फिर आखें बंद करके। इसके बाद, उन्होंने दोहराई जाने वाली एक साधारण आवाज सुनी और दोबारा आखें बंद करीं और खुली रखीं। टीम ने परिणामों की तुलना पृष्ठभूमि संकेतों से की और उसी समय दर्ज की गई विद्युत मस्तिष्क लय के साथ इन संबंधों की जांच की। आइए जानते हैं अध्ययन के नतीजे क्या रहे।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
शोधकर्ताओं ने पाया कि मस्तिष्क से निकलने वाले प्रकाश को उसकी परिवर्तनशीलता और जटिलता के आधार पर पृष्ठभूमि प्रकाश से अलग किया जा सकता है। मस्तिष्क के मंद प्रकाश ने पृष्ठभूमि रिकॉर्डिंग की तुलना में अधिक एन्ट्रॉपी और ज्यादा गतिशील संकेत प्रदर्शित किए। इन उत्सर्जनों ने 1 हर्ट्ज से नीचे एक विशेष फ्रीक्वेंसी प्रोफाइल भी दिखाई। इसका मतलब है कि प्रकाश लगभग हर एक से 10 सेकंड में एक बार बदलता रहता था।