गर्भावस्था में कब-कब महिलाओं को डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए?
क्या है खबर?
गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर करवाई जाने वाली डॉक्टरी जांच गर्भवती महिला और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी है।
इसका कारण है कि नियमित जांच गर्भावस्था की पूरी यात्रा के दौरान आवश्यक निगरानी, मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने में मदद कर सकती हैं।
आइए आज हम आपको गर्भावस्था की जांचों और ये जाचं क्यों जरूरी हैं, इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
#1
पहली तिमाही की जांच
पहली तिमाही के दौरान गर्भावस्था की मजबूत नींव स्थापित करने के लिए प्रारंभिक जांच आवश्यक है।
पहली जांच आमतौर पर गर्भावस्था के पहले 13 सप्ताह के भीतर होती है। हालांकि, इसके लिए गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर से 6 से 10 सप्ताह के बीच में अपॉइंटमेंट लेनी पड़ती है।
इस जांच में डॉक्टर गर्भ की स्थिति जानने और किसी भी प्रारंभिक असामान्यताओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं।
#2
दूसरी तिमाही में इस समय करवाएं जांच
दूसरी तिमाही के दौरान गर्भ की जांच अधिक बार होती है क्योंकि यह गर्भावस्था का कठिन चरण होता है।
आमतौर पर हर 4 से 6 सप्ताह में जांच की जाती हैं। इसमें डॉक्टर होने वाले शिशु के विकास की निगरानी करने सहित मां के ब्लड प्रेशर को जांचने और पूरे स्वास्थ्य का आंकलन करते हैं।
इन जांचों में भ्रूण के विकास का मूल्यांकन करने और किसी भी परेशानी का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड भी हो सकता है।
#3
तीसरी तिमाही में ऐसी होती हैं जांच
गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में जांचें पहले के मुकाबले अधिक हो जाती हैं। ये आमतौर पर हर 2-3 सप्ताह में होती हैं।
ये जांच बच्चे की स्थिति की निगरानी, मां के ब्लड प्रेशर और वजन बढ़ने की निगरानी और अन्य परेशानियों के किसी भी लक्षण का पता लगाने के लिए की जाती हैं।
इसके अतिरिक्त इनमें डॉक्टर गर्भवती महिला के ग्लूकोज स्तर की भी जांच कर सकता है और अगर जरूरत हो तो अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड भी करवा सकता है।
#4
प्री-लेबर से जुड़ी जांच
तीसरी तिमाही के अंत में डिलीवरी की तय तारीख नजदीक आने पर गर्भ की जांच साप्ताहिक रूप से की जाती है।
इसमें डॉक्टर बच्चे के विकास की बारीकी से निगरानी और मां की गर्भाशय ग्रीवा का आंकलन कर सकता है। इसके अतिरिक्त डिलीवरी की तैयारी से जुड़ी कुछ बातें कर सकता है।
ये जांच किसी भी चिंता का समाधान करने, जन्म योजनाओं की समीक्षा करने और दर्द प्रबंधन विकल्पों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करती हैं।
#5
डिलीवरी के बाद भी करवानी होती हैं कुछ जांच
बच्चे के जन्म के बाद मां की रिकवरी और स्वास्थ्य देखभाल पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।
आमतौर पर डिलीवरी के बाद 2-3 सप्ताह के भीतर मां और बच्चे की डॉक्टरी जांच करवानी पड़ती है, लेकिन जांच का समय हमेशा डिलीवरी के प्रकार पर निर्भर करता है।
इसमें डॉक्टर उपचार प्रक्रिया के बारे में बताने, डिलीवरी से जुड़ी किसी समस्या का समाधान करने और स्तनपान से जुड़े कई सवाल कर सकते हैं।