दशहरे पर जलेबी खाना माना जाता है शुभ, जानिए इसका कारण और मिठाई की रेसिपी
क्या आपको मालूम है कि दशहरे पर जलेबी खाना क्यों शुभ माना जाता है? ऐसा कहा जाता है कि जलेबी भगवान राम की पसंदीदा मिठाई थी। उस युग में जलेबी को 'शशकुली' बोला जाता था। इसलिए जब राम लंका नरेश रावण का वध करके अयोध्या लौटे तो लोगों ने श्रीराम की पसंदीदा मिठाई से उनका मुंह मीठा किया था। तभी से दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा है। आइए जानें कि आप जलेबी को घर में कैसे बना सकते हैं।
जलेबी के लिए आवश्यक चीजें
अगर आप 8-10 लोगों के लिए जलेबी बनाने वाली हैं तो इसके लिए 3 कप मैदा, 2 कप हंग कर्ड, देसी घी, 3 कप चीनी, कुछ केसर के धागे, आधी छोटी चम्मच हरी इलायची का पाउडर, आधा कप कॉर्नफ्लोर, एक चुटकी बेकिंग सोडा, तीन कप पानी, गुलाब एसेंस की 4 बूंदें (वैकल्पिक), आधी छोटी चम्मच खाने योग्य पीला रंग। वहीं जलेबी की सजावट के लिए बारीक कटे सूखे मेवे, गुलाब की पंखुड़ियां।
जलेबी का बैटर बनाने से करें शुरूआत
सबसे पहले एक कटोरे में मैदा, कॉर्नफ्लोर और बेकिंग सोडा को एक साथ मिलाएं, फिर इसमें आधा कप देसी घी, हंग कर्ड, पीला रंग और पानी डालें। अब इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाएं जब तक कि यह गाढ़ा न हो जाए लेकिन ध्यान रखें कि इसमें थोड़ी बहने वाली स्थिरता हो। इसके बाद इस मिश्रण को 8 से 10 घंटे के लिए ढककर छोड़ दें। इसी बीच पानी में चीनी, इलायची का पाउडर और गुलाब एसेंस डालकर चाशनी बनाएं।
अब जलेबियों को तलें
मध्यम आंच पर एक पैन में देसी घी गर्म करें। अब जलेबी के घोल को मलमल के कपड़े में भरें और कपड़े में एक छोटा-सा छेद करें। इसके बाद जलेबी का गोल बनाने के लिए मलमल के कपड़े को निचोड़ें। सही गोल बनाने के लिए अंदर से बाहर की ओर बढ़ें। जलेबियों को दोनों तरफ से तब तक तलें जब तक कि वे बनावट में कुरकुरी और सुनहरे रंग की न हो जाएं।
इस तरह से जलेबियों को दें अंतिम रूप
तलने के तुरंत बाद जलेबियों को चाशनी में 3-4 मिनट के लिए भिगो दें। ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया के लिए चाशनी गुनगुनी होनी चाहिए। अब जलेबियों को चाशनी से निकालकर एक प्लेट में रख दें, फिर सारी जलेबियों पर सूखे मेवे और गुलाब की पंखुड़ियां गार्निश करें। इसके बाद गर्मागर्म जलेबियों को मलाईदार रबड़ी के साथ परोसें। यहां जानिए विभिन्न तरह की रबड़ी बनाने के तरीके।