
जानिए लिंग मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
हस्त मुद्राएं स्वास्थ्य के लिए बेहद ही लाभदायक मानी जाती हैं क्योंकि ये न सिर्फ शरीर को सेहतमंद बनाती हैं बल्कि मन और दिमाग को शांत रखने में भी मदद करती हैं।
ऐसी कई योग हस्त मुद्राएं हैं, जिन्हें रोजाना करने की सलाह दी जाती है और इन्हीं में से एक है लिंग मुद्रा, जिसका नियमित अभ्यास स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
चलिए फिर इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
अभ्यास
लिंग मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं।
अब दोनों हाथों को पेट के सामने लाकर हथेलियों को मिलाएं और उंगलियों को इंटरलॉक कर लें।
इसके बाद अपने बाएं अंगूठे को दूसरे हाथ की तर्जनी उंगली के बगल से ऊपर उठाएं।
ध्यान रखें कि आपका बायां अंगूठा ऊपर उठा हो और दायां अंगूठा और तर्जनी उंगली के साथ घिरा हो।
इस मुद्रा में 15 मिनट तक बने रहें और सामान्य रुप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
सावधानियां
मुद्रा के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
पित्त दोष वाले लोगों को लिंग मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को भी इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति के पेट में कैंसर है तो उसे भी लिंग मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
अगर आपको ज्यादा देर तक बैठने में परेशानी होती है तो आप इस मुद्रा का अभ्यास लेटकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं।
इस मुद्रा का अभ्यास करते समय नाक से ही सांस लें।
फायदे
मुद्रा के निरंतर अभ्यास से मिलने वाले फायदे
यह मुद्रा मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को ऊर्जान्वित करने में सहायक है।
यह मुद्रा मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मददगार है।
इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर को विषाक्त तत्वों से मुक्ति मिलती है।
इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
इस मुद्रा के अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यह मुद्रा ग्रंथियों से हार्मोन के स्राव को कम करती है।
टिप्स
मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
इस मुद्रा का अभ्यास किसी शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस मुद्रा पर केंद्रित हो सके।
बेहतर होगा कि आप इस मुद्रा का अभ्यास सूर्योदय के समय करें क्योंकि इस समय मुद्रा का प्रभाव अधिक पड़ता है।
अगर आप पहली बार इस मुद्रा का अभ्यास करने जा रहे है तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें।
इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान सांस पर ज्यादा दबाव न डालें।