भारत की इन 5 जगहों पर नहीं मनाई जाती है होली, जानें क्यों
क्या है खबर?
भारत में होली का त्योहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर खुशियां मनाते हैं।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जहां होली नहीं मनाई जाती?
यह जानकर आपको आश्चर्य होगा, लेकिन इसके पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं।
आइए उन जगहों के बारे में जानते हैं, जहां होली का उत्सव नहीं होता और इसके पीछे की वजह क्या है।
#1
शांति निकेतन: कला और संस्कृति की अलग पहचान
पश्चिम बंगाल में स्थित शांति निकेतन में होली को 'बसंत उत्सव' के रूप में मनाया जाता है।
रवींद्रनाथ टैगोर ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। यहां रंगों से ज्यादा ध्यान नृत्य, संगीत और कला पर दिया जाता है।
लोग सफेद कपड़े पहनते हैं और पारंपरिक गीत गाते हुए नृत्य करते हैं।
यह एक शांतिपूर्ण आयोजन होता है, जिसमें रंगों की बजाय सांस्कृतिक गतिविधियों पर जोर दिया जाता है।
#2
मणिपुर: याओसांग त्योहार का महत्व
मणिपुर में होली के समय 'याओसांग' नामक त्योहार मनाया जाता है, जो पांच दिनों तक चलता है। इस दौरान लोग पारंपरिक नाच-गाना करते हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं।
यहां रंग खेलने की बजाय धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिनमें स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा होती है।
याओसांग मणिपुरी संस्कृति का अहम हिस्सा माना जाता है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिससे समाज में एकता और भाईचारा बढ़ता है।
#3
गोवा: शिग्मो महोत्सव का आकर्षण
गोवा में होली के समय 'शिग्मो' महोत्सव मनाया जाता है, जो लगभग दो हफ्ते तक चलता है।
यह एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है, जिसमें लोग ढोल-नगाड़े बजाते हुए सड़कों पर जुलूस निकालते हैं।
यहां रंग खेलने से ज्यादा ध्यान लोक नाच-गाने और संगीत पर दिया जाता है। इस दौरान गोवा की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिलता है, जिससे स्थानीय कला और परंपराओं का सम्मान होता है।
#4
तमिलनाडु: पंगुनी उत्सव की धूमधाम
तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मार्च-अप्रैल के दौरान 'पंगुनी' उत्सव मनाया जाता है, जो धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा होता है।
इस समय मंदिरों में विशेष पूजा होती है और भक्तजन भगवान मुरुगन को समर्पित गीत गाते हुए जुलूस निकालते हैं।
यहां रंग खेलने की कोई खास परंपरा नहीं होती बल्कि धार्मिक गतिविधियों पर जोर दिया जाता है।
इस उत्सव में लोग अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट करते हैं, जिससे समाज में धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान बढ़ता है।
#5
महाराष्ट्र: शिवाजी महाराज जयंती का सम्मान
महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में होली के समय शिवाजी महाराज जयंती को खास अहमियत दी जाती है।
यह जयंती होली के आसपास पड़ती है इसलिए लोग इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं।
शिवाजी महाराज की वीरता और नेतृत्व क्षमता का गुणगान करते हुए लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बातें होती हैं और समाज में एकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।