दही हांडी से लेकर झाकियों तक: भारत के राज्यों में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के तरीके
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान कृष्ण की जयंती का प्रतीक है। यह त्योहार इस साल देशभर में 26 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इसके उत्सव से जुड़ी परंपराएं और रीति-रिवाज एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होते हैं। कहीं पर दही हांडी का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो कहीं पर कृष्ण जन्म से जुड़ी झाकियां निकाली जाती हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
उत्तर प्रदेश
भगवान कृष्ण के जन्म स्थल मथुरा और वृंदावन में धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन पर इन जगहों पर 'दही हांडी' के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें युवा पुरुष मक्खन या दही से भरे मिट्टी के बर्तन को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं। साथ ही यहां के मंदिरों विशेष रूप से वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को बहुत खूबसूरत सजाया जाता है और भक्त भगवान के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांडी की परंपरा निभाई जाती आ रही है, जहां गोविंदा नामक समूह ऊंचाई पर लटकाई गई हांडी को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन विशेष रूप से मुंबई के दादर और लालबाग जैसी जगहों में देखने को मिलता है, जहां दही हांडी प्रतिस्पर्धा होती है। यहां इस अवसर पर विशेष कृष्ण झाकियां भी आयोजित की जाती हैं, जिनमें भगवान कृष्ण की मूर्तियां होती हैं।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार 'नंदा उत्सव' के तर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्त आधी रात तक उपवास रखते हैं और जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है तो वे अपना उपवास तोड़ते हैं। इसके अतिरिक्त कृष्ण के बाल रूप की प्रतिमा के लिए विशेष झूला सजाया जाता है और भक्ति गीत समेत नृत्य प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। साथ ही इस अवसर पर तरह-तरह की बंगाली मिठाइयां भी बनाई जाती हैं।
गुजरात
गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी पर 'रास लीला' का प्रदर्शन किया जाता है, जहां भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्य, विशेष रूप से गोपियों के साथ उनकी चंचल बातचीत को नृत्य और नाटक के माध्यम से दोहराया जाता है। लोग अपने घरों के बाहर सुंदर रंगोली भी बनाते हैं। इसके अतिरिक्त घर में चूरमा, पंजीरी और मोहनथाल जैसी पारंपरिक मिठाइयां तैयार की जाती हैं और भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती हैं।
तमिलनाडु
तमिलनाडु में कृष्ण जन्माष्टमी को 'गोकुलाष्टमी' के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर भक्त 'सीदाई' और 'मुरुक्कू' जैसी विभिन्न मिठाइयां और नमकीन तैयार करते हैं। इसके अतिरिक्त यहां पूजा कक्ष की ओर जाने वाले चावल के आटे से छोटे पैरों के निशान भी बनाए जाते हैं, जो भगवान के घर में आने का प्रतीक माने जाते हैं। यहां कृष्ण के बचपन के साहसिक कारनामों से जुड़ी झाकियां भी निकाली जाती हैं।