नवरात्रि के दिनों में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

ये तो सभी जानते हैं कि नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है और इस दौरान कई लोग नवरात्रि के नौ दिनों के लिए कलश स्थापित कर उपवास भी रखते हैं। हर कोई देवी मां को अपने-अपने तरीकों से रिझाने और प्रसन्न रखने के लिए कई जतन करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रों के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना बेहद जरुरी है। आइए आज उन बातों के बारे में जानते हैं।
नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। एक चेत्र नवरात्रि जो अप्रैल महीने में आती है और दूसरी शारदीय नवरात्रि जो सितंबर-अक्टूबर में आती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर (वीरवार) से शुरू होगी और 14 अक्टूबर (वीरवार) को नवमी मनाई जाएगी।
अकसर आप सभी लोगों ने अपने घर के बड़े-बुजुर्गों को यह कहते हुए सुना होगा कि शुभ कार्यों में काले और नीले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए क्योंकि इन रंगों के कारण नकारात्मकता ऊर्जा जल्दी आकर्षित होती है। यही वजह है कि आपके बड़े-बुजुर्गं इन रंगों के कपड़े पहनने के लिए मना करते हैं। इसलिए नवरात्रि के दौरान भी इस बात का खास ख्याल रखें और नवरात्रि वाले दिनों में लाल, पीले और हरे रंग के कपड़े ही पहनें।
मां को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें अनाज नहीं होना चाहिए, चाहें आपने उपवास रखा हो या नहीं। यथाशक्ति मां को फल, मिठाईयां, मिश्री, शक्कर, लौंग और इलायची का ही भोग लगाएं और अन्न का पूरी तरह से परहेज करें।
कैंची-ब्लेड: नवरात्रि के नौ दिनों तक कैंची या ब्लेड आदि का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा बाल, दाढ़ी-मूंछ और नाखून काटने से भी परहेज करें क्योंकि धर्मशास्त्र में नवरात्रि के दिनों में ये काम पूर्ण रूप से वर्जित माने गए हैं। हालांकि, नवरात्रि के दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ माना गया है। लहसुन-प्याज: नवरात्रि के दौरान आप उपवास रखते हैं या नहीं, लेकिन नौ दिनों तक लहसुन-प्याज का सेवन न करें क्योंकि इसे तामसिक माना जाता है।
चमड़े की चीज़ें: नवरात्रि के दौरान कछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें से ही एक है कि नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक चमड़े के जूते, चप्पल और बेल्ट आदि का प्रयोग न करना। दिन के समय सोना: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रों में दिन के समय नहीं सोना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आप पूजा के फल से वंचित रह सकते हैं। कोशिश करें कि नौ दिनों तक दिन के समय मां के भजन-कीर्तन करें।