इतिहास से लगाव है तो जरूर करें दिल्ली की इन जगहों की यात्रा
अपने समृद्ध इतिहास, संस्कृति और विरासत के लिए जानी वाली दिल्ली एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह मौर्यों, तुगलकों, मुगलों और मराठों का घर रही है, जिन्होंने अपने पीछे एक बेजोड़ ऐतिहासिक विरासत छोड़ी है। यहां प्राचीन किलों, महलों और स्मारकों से लेकर ऐतिहासिक मकबरों और सदियों पुराने मंदिर आदि देखने के लिए बहुत कुछ है। आइए आज हम आपको दिल्ली के पांच ऐतिहासिक जगहों के बारे में बताते हैं, जिनकी खूबसूरती और वास्तुकला देखने लायक है।
मिर्जा गालिब की हवेली
दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में स्थित मिर्जा गालिब की हवेली 300 साल पुरानी है, जो कभी प्रसिद्ध उर्दू कवि मिर्जा असदुल्ला बेग खान का घर हुआ करती थी, जिन्हें मिर्जा गालिब के नाम से भी जाना जाता था। यह अर्ध-गोलाकार ईंट मेहराब वाली प्राचीन संरचना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। इस हवेली में एक संग्रहालय है, जो गालिब के संघर्ष के कुछ विशेष कार्यों को प्रदर्शित करता है।
जहाज़ महल
दक्षिण दिल्ली के महरौली में हौज-ए-शम्सी के बगल में स्थित जहाज़ महल या शिप पैलेस लोदी वंश के दौरान यानी 1452-1526 के दौरान बनाया गया था और तब इसे एक मनोरंजन रिसॉर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसके आस-पास के जलाशय में महल का प्रतिबिंब झील में तैरते एक जहाज जैसा दिखता है और इसलिए इसका नाम जहाज़ महल है। यह महल लाल बलुआ पत्थर से बना है और इस्लामी कला को दर्शाता है।
चुन्नामल हवेली
चांदनी चौक में स्थित एक धनी व्यापारी लाला राय चुन्नामल ने 1848 में चुन्नामल हवेली का निर्माण करवाया था, जो अब एक प्राचीन भारतीय आंगन हवेली है और उस समय की विरासत को दर्शाती है। एक एकड़ के क्षेत्र में फैली हवेली का निर्माण चूने के गारे और लखोरी ईंटों से किया गया था। इस पुश्तैनी हवेली में 150 कमरे हैं, जिनके कुछ हिस्सों का निर्माण 1864 में किया गया था।
भूली भटियारी का महल
दिल्ली में करोल बाग के नजदीक स्थित भूली भटियारी का महल मूल रूप से एक शिकार लॉज है, जिसे 14वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। इसकी संरचना में एक शानदार मलबे की चिनाई वाला गेट है और साथ ही एक अन्य द्वार के साथ घुमावदार मेहराब है, जो आपको एक खुले आंगन में ले जाता है। घने जंगलों से घिरा यह महल विभिन्न असामान्य कहानियों और भूतिया गतिविधियों से जुड़ा हुआ है।
अग्रसेन की बावली
नई दिल्ली के हैली रोड पर स्थित अग्रसेन की बावली एक प्राचीन जलाशय है, जिसे 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन ने महाभारत के समय में बनवाया था। यह 60 फीट गहरा और 15 मीटर चौड़ा है, जिसमें 103 सीढ़ियां और पुरानी ईंट की दीवारें हैं, जो पानी के भंडारण क्षेत्र की ओर ले जाती हैं। अब यह संरचना भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है।