युवाओं की उच्च मृत्यु दर है एक वैश्विक संकट, नए स्वास्थ्य अध्ययन ने दी चेतावनी
क्या है खबर?
युवा हर देश का भविष्य होते हैं, जिनके हाथों में विकास और समृद्धि की बागडोर होती है। हालांकि, क्या हो अगर वही युवा संकट में हों? एक नए वैश्विक स्वास्थ्य अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में किशोरों और युवा वयस्कों की मृत्यु दर चिंताजनक रूप से बढ़ती जा रही है। यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर मृत्यु और विकलांगता के कारणों पर किया गया था, जिसने इस विषय को एक उभरता हुआ संकट बताया है।
अध्ययन
अमेरिका के युवा नशे के कारण गवा रहे हैं जान
इस अध्ययन का शीर्षक 'ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज' यानि 'बीमारी का वैश्विक बोझ' है। इसे लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित किया गया था और रविवार को बर्लिन में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किया गया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अमेरिका में युवाओं की मृत्यु के मुख्य कारण नशीली दवाएं, शराब का सेवन और आत्महत्या है। वहीं, अफ्रीका में संक्रामक रोग और चोट लगने के कारण युवाओं का निधन हो जाता है।
मृत्यु दर
सभी देशों की संकलित मृत्यु दर में आई है गिरावट
इस अध्ययन को वैज्ञानिकों के 16,500 गुटों ने मिलकर पूरा किया है। इसके लिए करीब 3 लाख से ज्यादा डाटा स्रोतों का उपयोग किया गया था। इसमें पाया गया कि 2023 तक 204 देशों की मृत्यु दर में गिरावट आई है। साथ ही वैश्विक जीवन प्रत्याशा कोविड-19 महामारी के कारण आई गिरावट से उबर गई है। महिलाओं के लिए यह 76.3 साल और पुरुषों के लिए 71.5 साल है, जो 1950 की तुलना में 20 साल ज्यादा है।
युवा
किशोरों और युवा वयस्कों की मृत्यु दर में दर्ज हुई है बढ़ोतरी
मृत्यु दर घटने के बावजूद भी शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है। उनके मुताबिक, इन सभी देशों में किशोरों और युवा वयस्कों की मृत्यु दर बढ़ती ही जा रही है। शोधकर्ताओं ने कहा, "युवा वयस्कों में बढ़ती मृत्यु दर चिंता और अवसाद के बढ़ने से जुड़ी हुई है।" 15 से 29 साल की लड़कियों और महिलाओं की मृत्यु दर 61 प्रतिशत बढ़ी है। इसका मुख्य कारण गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जान गवाना, सड़क दुर्घटनाएं और मेनिन्जाइटिस हैं।
कारण
क्या हैं मृत्यु दर बढ़ने के कारण?
अध्ययन में सामने आया कि हृदय रोग और मधुमेह जैसी दीर्घकालिक बीमारियां सभी बीमारियों का दो-तिहाई हिस्सा बन गई हैं। इनके साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी युवाओं की मौत का कारण बन रही हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि उच्च रक्तचाप, वायु प्रदूषण, धूम्रपान और मोटापे जैसी समस्याओं को ठीक करके मृत्यु दर को घटाया जा सकता है। इसके अलावा सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल भी समस्या को बढ़ा रहा है।