गांधी की 150वीं जयंती: जानिेए कैसा था बापू का खानपान और पसंदीदा भोजन
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत की आजादी में गांधी जी के अतुल्य योगदान पर हर भारतीय को गर्व है। महात्मा गांधी को उनके सादे-जीवन और उच्च विचारों के कारण हर भारतीय बापू कहने लगा। आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का जश्न मना रहा है, इसलिए आज हम आपको गांधी जी के खान-पान के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानें।
गांधी जी को पसंद था फलों का राजा आम
गांधी जी खानपान के शौकिन थे इसलिए उन्होने खानपान के साथ जितने प्रयोग किए शायद ही दुनिया के किसी शख्स ने आहार के साथ इतने प्रयोग किए होंगे। बापू जहां चीनी के सेवन से बचते थे वहीं फलों के राजा आम के प्रति अपनी लालसा को रोक नहीं पाते थे। अपने कई लेखों में गांधी जी ने आम की लालसा के लिए अफसोस भी जताया है। फिर भी गांधी जी ने आम खाना नहीं छोंड़ा।
गांधी जी की डाइट पर लिखी गई है किताब
लेखक निको स्लेट ने गांधी जी की डाइट पर लिखी किताब में उल्लेख किया है कि संतुलित भोजन गांधी जी की जिंदगी का अहम हिस्सा था। इसके अलावा गांधी जी बचपन में ही संतुलित भोजन के लाभ से अवगत हो गए थे। स्लेट ने गांधी जी के खानपान पर पांच साल की रिसर्च के बाद 'गांधी'ज सर्च फॉर द परफेक्ट डाइट' किताब लिखी है।
गांधी जी अपने भोजन में डालते थे कम नमक
गांधी जी को पता था कि उनकी पसंदीदा सब्जियों में प्राकृतिक तौर पर नमक होता है इसलिए वह अपने भोजन में अतिरिक्त नमक डालने से बचते थें। स्लेट के मुताबिक, महात्मा गांधी ने 1911 से ही अपने भोजन में नमक डालना बंद कर दिया था।
बापू रखते थे कई दिनों तक उपवास
गांधी जी पूरे दिन में दो बार ही भोजन करते थें। वह अपना पहला भोजन 11 बजे और दूसरा शाम को 6 बजे करते थे। वह दिन में शहद और नींबू को गर्म पानी में मिलाकर जरुर पीते थे। गांधी जी ने आजादी मिलने से पहले कई उपवास रखे और आजादी के लिए संघर्ष के दौरान उन्होंने 17 बार उपवास रखा और उनका सबसे लंबा उपवास 21 दिन का था।
गांधी जी के पसंदीदा आहार
बापू को खाने में दाल-चावल, दही, बैंगन, लौकी और कद्दू की सब्जी बहुत पसंद थी। गांधी जी को ये आहार इसलिए भी पसंद थे क्योंकि गांधी जी इन खाद्य पदार्थों के गुणों से पूरी तरह से वाकिफ थे।