उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित ये पांच पर्यटन स्थल छुट्टियों के लिए हैं बेहतरीन
नेपाल की सीमा से लगा पिथौरागढ़ 1,645 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह शहर उत्तराखंड के कुमाऊं में चंद राजाओं के शासन के दौरान सत्ता का एक प्रमुख केंद्र था। पिथौरागढ़ उन लोगों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जो कैलाश और मानसरोवर के मंदिरों की यात्रा करते हैं। आइए आज हम आपको पिथौरागढ़ के पांच पर्यटन स्थलों के बारे में बताते हैं, जहां आप छुट्टियों में जाकर अपने जीवन के कुछ क्षण एन्जॉय कर सकते हैं।
कपिलेश्वर महादेव
पिथौरागढ़ में मौजूद कपिलेश्वर महादेव एक गुफा मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर एक अंधेरी गुफा के अंदर 10 मीटर की दूरी पर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार कपिल नाम के एक ऋषि यहां तपस्या करते थे। आप यहां आकर सोर घाटी और इसके आसपास की राजसी हिमालय की चोटियों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं। यकीनन यहां आकर आपको एक अलग ही अनुभव प्राप्त होगा।
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य
अस्कोट कत्यूरी वंश का प्राचीन साम्राज्य था और वर्तमान में कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। यह नाम असी-कोट से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 80 किले, जो दिखाई दे रहे हैं और ऊंचे पेड़ों और झरनों से घिरे हैं। धौली और काली नामक नदियां इस क्षेत्र से निकलती हैं और गंगा भी यहां से होकर गुजरती है।
पिथौरागढ़ किला
पिथौरागढ़ किला शासक पीरू उर्फ पृथ्वी गुसाईं द्वारा चांद काल के दौरान बनाया गया था। कुछ अभिलेखों के अनुसार, इस किले का निर्माण गोरखाओं ने साल 1789 में शहर पर आक्रमण करने के बाद करवाया था। पिथौरागढ़ किला वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। हालांकि, इस किले के आसपास के कुमाऊं क्षेत्र के खूबसूरत दृश्य हैं, जिन्हें देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
गंगोलीहाट
गंगोलीहाट अपने हाट कालिका मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो देवी काली को समर्पित है और इसे शंकराचार्य ने महाकाली शक्तिपीठ की स्थापना के लिए चुना था। यहां शैल पर्वत पर स्थित वैष्णवी मंदिर से हिमाच्छादित हिमालय पर्वतमाला का सुंदर और स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है। गंगोलीहाट में कई भूमिगत गुफाएं भी हैं, जहां पर्यटक अक्सर आते हैं जैसे पाताल भुवनेश्वर गुफा, शैलेश्वर गुफा, भुलेश्वर गुफा और मुक्तेश्वर गुफा।
ध्वज मंदिर
ध्वज मंदिर भगवान शिव और देवी जयंती को समर्पित है। समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर पिथौरागढ़ से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब दो घंटे का ट्रेक करना पड़ता है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर दूर-दूर के पहाड़ों और चीन-नेपाल सीमा की चोटियों के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।