चंद्र नमस्कार: स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है इस योगासन का अभ्यास, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
चंद्र नमस्कार बहुत ही सरल और स्वास्थ्यवर्धक योगासन है। इसके माध्यम से कुछ ही मिनटों में शरीर को आराम पहुंचाया जा सकता है।
इसके अभ्यास से शरीर के अंदर नई ऊर्जा का संचार होता है और कई गंभीर रोगों से शरीर को बचाने में मदद मिलती है।
बता दें कि यह सूर्य नमस्कार के ठीक विपरीत कार्य करता है।
चलिए आज आपको चंद्र नमस्कार के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
मतलब
चंद्र नमस्कार क्या है?
चंद्र नमस्कार का अभ्यास चंद्रमा और उसकी ऊर्जा का सम्मान करना है।
यह रात के समय किया जाने वाला सबसे अच्छा योगासन है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
यह आपकी सांस और इंद्रियों के बीच एक मजबूत संबंध बनाने में मदद करता है और नींद की गुणवत्ता को भी सुधारता है।
हालांकि, इस योगासन का अभ्यास करते समय खाली पेट रहना जरूरी है और उस समय शरीर पर हल्के कपड़े ही होने चाहिए।
फायदे
शरीर के निचले हिस्से पर केंद्रित होता है चंद्र नमस्कार
सूर्य नमस्कार के विपरीत, चंद्र नमस्कार का अभ्यास शरीर की ऊर्जा को नीचे की ओर प्रवाहित करता है। इसका मतलब है कि इससे आप अपने शरीर के निचले हिस्से में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
यह अभ्यास शरीर की सभी मांसपेशी समूहों को जोड़ता है और लचीलापन बढ़ाता है।
इसके साथ ही श्वसन, रक्त परिसंचरण और पाचन क्रिया के कामकाज में भी सुधार करता है। यह मन में चल रही उथल-पुथल को भी ठीक कर सकता है।
तरीका
चंद्र नमस्कार कैसे करें?
इसके लिए सबसे पहले प्रार्थना मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं और फिर अपनी बाहों को ऊपर उठाकर श्वास लेते हुए पीछे की ओर झुकें।
अब सांस छोड़कर आगे झुकें और अपने सिर को अपने घुटनों से स्पर्श करें।
इसके बाद दाहिने पैर को फर्श से छूते हुए पीछे की ओर धकेलें और ऊपर देखें। इसके बाद दूसरे पैर को भी पीछे धकेलें और प्लैंक पोजीशन में आ जाएं। अब बालासन का अभ्यास करें।
जानकारी
ये योगासन भी अभ्यास में हैं शामिल
बालासन के बाद भुजंगासन की अवस्था में आएं और उसके बाद पर्वतासन करें। अब एक पैर आगे लाएं और ऊपर देखें। दूसरे पैर को आगे लाकर खड़े हो जाएं और फिर सिर को घुटनों से स्पर्श करके पीछे की ओर झुकते हुए खड़े हो जाएं।
अंतर
सूर्य नमस्कार बनाम चंद्र नमस्कार
सूर्य नमस्कार तेजी से करने वाला योगासन है, जबकि चंद्र नमस्कार आरामदायी आसन है।
इसके अतिरिक्त, सूर्य नमस्कार प्रकाश गतिविधि के बारे में है, जबकि चंद्र नमस्कार ठंडा, ग्रहणशील और ध्यान संबंधी गुणों के बारे में है।
सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय व्यक्ति को जल्दी से आसनों को स्विच करना पड़ता है, जबकि चंद्र नमस्कार के दौरान सभी आसनों को धीरे-धीरे करना होता है।