जानिए ब्रोन्कियल मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
योग में योगासन और प्राणायाम समेत कई ऐसी महत्वपूर्ण हस्त मुद्राएं हैं, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक हैं।
इन्हीं में शामिल ब्रोन्कियल मुद्रा हमारे लिए एक वरदान है क्योंकि यह हमारे शरीर, आत्मा और दिमाग पर गहरा असर डालती है।
रोजाना इस मुद्रा का अभ्यास करना हर उम्र के व्यक्ति के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
आइए आज आपको इस मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अभ्यास
ब्रोन्कियल मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या फिर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठें।
अब अपनी हथेलियों को अच्छे से खोलकर अपनी मध्य उंगली को अंगूठे के सबसे ऊपरी सिरे से मिलाएं।
इसके बाद अपनी अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) को अंगूठे के बीच वाले जोड़ पर रखें और फिर कनिष्ठा उंगली (छोटी उंगली) को अपने अंगूठे की जड़ पर लगाएं। इस दौरान अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) को बाहर की ओर फैलाएं।
करीब पांच मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करें।
सावधानियां
ब्रोन्कियल मुद्रा करते समय जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर किसी व्यक्ति की हाल ही में कोई सर्जरी हुई है तो उसे ब्रोन्कियल मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
अगर आपको ज्यादा देर तक बैठने में परेशानी होती है तो आप इस मुद्रा का अभ्यास लेटकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं।
इस मुद्रा का अभ्यास करते समय नाक से ही सांस लें और मुंह से सांस लेने का प्रयास न करें।
शारीरिक रूप से कमजोर लोग इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग गुरू की निगरानी में करें।
फायदे
ब्रोन्कियल मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे
ब्रोन्कियल मुद्रा का अभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभप्रद है।
ब्रोंकाइटिस के प्रभाव को कम करने में भी यह मुद्रा काफी मदद कर सकती है।
यह मुद्रा मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को ऊर्जान्वित करने में सहायक है।
यह मुद्रा मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करती है।
इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर को विषाक्त तत्वों से मुक्ति मिलती है।
टिप्स
ब्रोन्कियल मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार ब्रोन्कियल मुद्रा का अभ्यास करने वाले हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और इसके बाद ही इसका अभ्यास करें।
बेहतर होगा कि आप इस मुद्रा का अभ्यास सुबह आठ बजे से पहले करें क्योंकि इससे आपको मुद्रा का भरपूर फायदा मिल सकता है।
इस मुद्रा का अभ्यास करते समय सांस लेने और छोड़ने में अधिक जोर न लगाएं।