
तेलंगाना की शान है चेरियल पेंटिंग, जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें
क्या है खबर?
तेलंगाना की चेरियल पेंटिंग एक खास और पारंपरिक कला है, जो इस राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाती है। यह कला मुख्य रूप से चेरियाल गांव से आती है और इसमें रंग-बिरंगी चित्रकारी की जाती है। चेरियल पेंटिंग में हिंदू पौराणिक कहानियों, लोक कथाओं और ग्रामीण जीवन को दर्शाया जाता है। इस लेख में हम आपको इस कला शैली के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे आप इसके इतिहास और तकनीकों को समझ सकें।
इतिहास
चेरियल पेंटिंग का इतिहास
चेरियल पेंटिंग का इतिहास बहुत पुराना है और इसका विकास 17वीं शताब्दी में हुआ था। यह कला मुख्य रूप से तेलंगाना के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित थी। पहले यह केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए बनाई जाती थी, लेकिन समय के साथ इसका उपयोग सजावट और उपहार देने के लिए भी किया जाने लगा। आजकल चेरियल पेंटिंग को स्मृति चिन्ह और कला संग्रहण के रूप में भी बेचा जाता है, जिससे कलाकारों को आर्थिक सहायता मिलती है।
प्रक्रिया
चेरियल पेंटिंग बनाने की प्रक्रिया
चेरियल पेंटिंग बनाने के लिए पहले कपड़े या लकड़ी पर सफेद रंग लगाया जाता है, फिर उस पर काले रंग से चित्रकारी की जाती है। इसके बाद विभिन्न प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके चित्र को रंगा जाता है। इस प्रक्रिया में गहरे नीले, लाल, हरे, पीले आदि रंगों का इस्तेमाल होता है। चित्रकारी के बाद इसे धूप में सुखाया जाता है ताकि रंग टिकाऊ हो सकें और धूप से चमक भी आए।
विषय
चेरियल पेंटिंग के विषय
चेरियल पेंटिंग के विषय बहुत ही विविधतापूर्ण होते हैं। इनमें रामायण, महाभारत, कृष्ण लीला, देवी-देवताओं की कहानियां, लोक कथाएं आदि शामिल हैं। इसके अलावा ग्रामीण जीवन, त्योहारों, विवाह समारोह आदि दृश्यों को भी चित्रित किया जाता है। इस कला में जीवन के हर पहलू को दर्शाया जाता है, जिससे यह कला शैली बहुत ही समृद्ध और आकर्षक बनती है। चेरियल पेंटिंग में जीव-जंतुओं, पक्षियों और फूलों आदि प्राकृतिक दृश्यों को भी दिखाया जाता है।
महत्व
चेरियल पेंटिंग का महत्व
चेरियल पेंटिंग न केवल तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह स्थानीय कलाकारों के लिए रोजगार का साधन भी बनी हुई है। यह कला शैली पर्यटकों को आकर्षित करती है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा यह युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने में मदद करती है। चेरियल पेंटिंग को संयुक्त राष्ट्र के सांस्कृतिक संगठन द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ी है।