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जापान के अभिभावकों से सीखें बच्चों के पालन-पोषण के कारगर टिप्स, जो उन्हें बनाएंगे बेहतर इंसान

जापान के अभिभावकों से सीखें बच्चों के पालन-पोषण के कारगर टिप्स, जो उन्हें बनाएंगे बेहतर इंसान

लेखन सयाली
Nov 24, 2025
03:46 pm

क्या है खबर?

जापान के बच्चे दुनिया के सबसे बुद्धिमान और अनुशासित होते हैं। इसका श्रेय उनके माता-पिता को जाता है, जो बहुत ही प्रभावी तरीके से उनका पालन-पोषण करते हैं। आपने डोरेमोन और शिनचैन जैसे कार्टून में भी देखा होगा कि जापानी बच्चों को छोटी उम्र से ही काम-काज सिखाए जाते हैं। इससे वे स्वतंत्र बनना सीखते हैं और उनका मानसिक और भावनात्मक विकास भी होता है। आप जापानी अभिभावकों से बच्चों की देखभाल के ये टिप्स सीख सकते हैं।

#1

मां और बच्चे का रिश्ता होता है सबसे जरूरी

हमारे देश की तरह जापान में भी मां और बच्चे का रिश्ता सबसे महत्वपूर्ण होता है। यहां मां अपने बच्चे के साथ ही ज्यादातर समय बिताती हैं। बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक विकास को आकार देने में मां का ही हाथ होता है। वे अपने बच्चे की हर बात को स्वीकार करती हैं और उन्हें सौम्यता से बड़ा करती हैं। इस बंधन को बच्चे को प्यार, सामाजिक कौशल और भावनात्मक संवेदनशीलता सिखाने के लिए आवश्यक माना जाता है।

#2

बच्चों की भावनाओं को दी जाती है प्राथमिकता

जापान के अभिभावक अपने बच्चों की भावनाओं को प्राथमिकता देते हैं। वे अपने बच्चों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और उन्हें शर्मिंदा महसूस नहीं कराते। वे उन्हें अन्य लोगों और निर्जीव वस्तुओं की भावनाओं को समझने की भी सीख देते हैं। इससे बच्चे न केवल अपनी भावनाओं को अच्छी तरह व्यक्त करना सीखते हैं, बल्कि उनमें सहानुभूति भी पैदा होती है। इससे बच्चे ज्यादा शांत, विनम्र और दयालु बनते हैं।

#3

छोटी उम्र से ही सिखाए जाते हैं घर के काम

जैसा की हमने पहले बताया, जापानी बच्चों को छोटी उम्र से ही घर के काम सिखाए जाते हैं। वे न केवल घर में माता-पिता का हाथ बटाते हैं, बल्कि पढ़ने के बाद विद्यालय की साफ-सफाई में भी मदद करते हैं। इससे वे जिम्मेदारी और स्वतंत्रता सीखते हैं और अनुशासित भी रहते हैं। सफाई, खाना पकाना और व्यवस्था जैसे कामों में हाथ बटाकर बच्चे व्यावहारिक जीवन कौशल सीखते हैं और उनमें योगदान और विनम्रता की भावना भी विकसित होती है।

#4

शिष्टाचार होता है जीवन का अहम हिस्सा

जापानी बच्चों को बहुत छोटी उम्र से ही शिष्टाचार सिखाया जाता है, जो उन्हें बेहतर इंसान बनाने में मदद करता है। जीवन के पहले कुछ वर्षों के दौरान माता-पिता बच्चों के चरित्र, अनुशासन और सामाजिक कौशल पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं। यहां बच्चों को 'शित्सुके' नाम की तकनीक के माध्यम से शिष्टाचार सिखाया जाता है। इसमें दंड देने के बजाय अभ्यास और दिनचर्या के माध्यम से अच्छा व्यवहार सिखाने पर जोर दिया जाता है।

जानकारी

लड़की-लड़के में नहीं किया जाता भेद-भाव

जापान में अभिभावक अब लड़की और लड़कों के बीच फर्क नहीं करते हैं। दोनों लिंग के बच्चों को घर के काम, सामाजिक कौशल, शिष्टाचार और अनुशासन सिखाया जाता है। उन्हें एक समान सुविधाएं और संसाधन प्रदान किए जाते हैं, ताकि उनका विकास हो।