
कश्मीरी संगीत का अहम हिस्सा हैं ये 5 वाद्ययंत्र, जानें इनकी विशेषताएं
क्या है खबर?
कश्मीरी संगीत अपने अनोखे संगीत के सामान के लिए जाना जाता है। इनमें से कुछ संगीत के सामान सदियों से प्रचलित हैं, जबकि कुछ हाल ही में लोकप्रिय हुए हैं। ये संगीत के सामान न केवल संगीत प्रेमियों को आकर्षित करते हैं, बल्कि कश्मीर की संस्कृति और धरोहर का भी हिस्सा हैं। इस लेख में हम आपको कश्मीरी संगीत के पांच प्रमुख संगीत के सामान के बारे में बताएंगे, जो इस क्षेत्र की समृद्ध धरोहर को दर्शाते हैं।
#1
कश्मीरी सारंग
कश्मीरी सारंग एक पारंपरिक संगीत का सामान है, जिसे लकड़ी से बनाया जाता है। यह दो हिस्सों में बंटा होता है, जिसमें से एक हिस्सा ध्वनि उत्पन्न करने के लिए होता है और दूसरा हिस्सा संगीतकार द्वारा पकड़ा जाता है। इस संगीत के सामान की ध्वनि बहुत ही प्यारी होती है और इसे खासतौर पर शास्त्रीय संगीत में उपयोग किया जाता है। कश्मीरी सारंग की ध्वनि इतनी आकर्षक होती है कि यह सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
#2
नोएट
नोएट एक प्रकार का ढोल होता है, जिसे खासतौर पर धार्मिक कार्यक्रमों और त्योहारों पर बजाया जाता है। इसे दोनों हाथों से पीटा जाता है और इसकी धुन बहुत ही तेज होती है। यह उपकरण कश्मीरी संस्कृति का अहम हिस्सा है और हर उत्सव में इसका उपयोग किया जाता है। नोएट की धुन सुनकर मन में ऊर्जा का संचार होता है और यह संगीत की दुनिया में एक अलग ही स्थान रखता है।
#3
तुंबकनारी
तुंबकनारी एक प्रकार का ढोल है, जिसे हाथों से बजाया जाता है। यह ढोल आमतौर पर शादी-ब्याह जैसे समारोहों में प्रयोग किया जाता है। तुंबकनारी की धुन इतनी तेज होती है कि यह लोगों को नाचने पर मजबूर कर देती है। इस ढोल की धुन सुनकर लोग उत्साहित हो जाते हैं और समारोह का आनंद लेने लगते हैं। तुंबकनारी की ध्वनि इतनी प्रभावशाली होती है कि यह समारोह को जीवंत बना देती है।
#4
कश्मीरी सितार
कश्मीरी सितार एक प्रकार का तार वाला संगीत का सामान है, जिसे लकड़ी से बनाया जाता है। इस सितार की ध्वनि बहुत ही अनोखी होती है और इसे खासतौर पर सूफी गानों में उपयोग किया जाता है। कश्मीरी सितार की ध्वनि सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और इसे सुनने का आनंद लेते हैं। इस संगीत के सामान की धुन इतनी मधुर होती है कि यह सुनने वालों को एक अलग ही दुनिया में ले जाती है।
#5
संतूर
संतूर एक प्रकार की झांझ होती है, जिसमें कई तार लगे होते हैं। इसे लकड़ी से पीटा जाता है और इसकी धुन बहुत ही मधुर होती है। संतूर कश्मीरी सूफी संगीत का अहम हिस्सा है। इसके अलावा यह भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी इस्तेमाल होता है। संतूर की धुन सुनकर मन को शांति मिलती है और यह संगीत की दुनिया में एक अलग ही स्थान रखता है।