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    देश में क्यों बढ़ रहे हैं रेल हादसे और इसको लेकर क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
    देश में हाल में रेल हादसों में बढ़ोतरी हुई है (फाइल फोटो)

    देश में क्यों बढ़ रहे हैं रेल हादसे और इसको लेकर क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

    लेखन आबिद खान
    Aug 18, 2024
    12:15 pm

    क्या है खबर?

    देश में बीते कुछ महीनों से रेल हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते दिन (17 अगस्त) को ही उत्तर प्रदेश के कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे पटरी से उतर गए।

    ज्यादातर घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने की सामने आ रही हैं, जो ट्रैक के रखरखाव में कमी और बुनियादी ढांचे की गंभीर स्थिति की ओर इशारा कर रही हैं।

    आइए जानते हैं कि आखिर अचानक से रेल हादसे क्यों बढ़ गए हैं।

    वजह

    क्या है रेल हादसों की सबसे बड़ी वजह?

    देश में रेल हादसों का सबसे बड़ा कारण ट्रेनों का पटरी से उतरना है।

    द क्विंट के अनुसार, 1960-61 और 1970-71 के बीच 14,769 रेल दुर्घटनाओं में से 11,312 दुर्घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुईं।

    न्यूज18 ने रेलवे सुरक्षा आयोग के आंकड़ों के हवाले से बताया कि 2017-18 और 2022-2023 के बीच 75 प्रतिशत दुर्घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के चलते हुई थीं। यह सभी रेल हादसों का 75 प्रतिशत है।

    दूसरी वजहें

    और किन वजहों से होते हैं रेल हादसे?

    ट्रेन के पटरी से उतरने के अलावा मानवीय भूल या पुराने उपकरणों की वजह से भी हादसे होते हैं।

    2017-18 और 2021-22 के बीच 55 प्रतिशत दुर्घटनाएं रेलवे कर्मचारियों की गलती के कारण हुईं। 2019-20 में कर्मचारियों की गलती के कारण सबसे अधिक 65 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं।

    2021-2022 में लगभग 55 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण हुई थीं। 2020-2021 में यह आंकड़ा 73 प्रतिशत था।

    इसके बाद दुर्घटनाओं के सबसे बड़े कारण आग लगना और ट्रेनों का टकराना है।

    CAG रिपोर्ट

    रेल हादसों पर CAG की रिपोर्ट क्या कहती है?

    नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) का कहना है कि ट्रैक नवीनीकरण के लिए रेलवे के पास 1,03,395 करोड़ रुपये की कमी है।

    वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक रेलवे को 94,873 करोड़ रुपये की पुरानी संपत्तियों को बदलने की जरूरत थी।

    इनमें से 60 प्रतिशत या 58,459 करोड़ रुपये रेलवे पटरियों के नवीनीकरण के लिए आवंटित किए गए थे। हालांकि, इसमें से मात्र 671.92 करोड़ रुपये या 0.7 प्रतिशत ही इस काम में इस्तेमाल किए गए।

    विशेषज्ञ

    क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

    रेलवे के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता आलोक वर्मा ने इंडिया टुडे से कहा, "भारतीय रेलवे में बढ़ती दुर्घटनाएं एक विफल प्रणाली का संकेत हैं, जहां मौजूदा नेटवर्क पर भीड़भाड़ के कारण महत्वपूर्ण ट्रैक निरीक्षण और रखरखाव में समझौता करना पड़ रहा है। रेलवे के मुख्य रूट, जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ते हैं, उन पर पिछले 2 दशकों से मौजूदा लाइनों के अलावा कोई नई लाइन नहीं जोड़ी गई है।"

    कवच प्रणाली

    रेल हादसों को रोकने वाली कवच प्रणाली कितनी कारगर?

    रेल हादसों को रोकने के लिए सरकार ने कवच प्रणाली लागू की है। हालांकि, ये केवल सिग्नलिंग में गड़बड़ी रोकने में कारगर है ट्रेन के पटरी से उतरने या ट्रैक में दिक्कत में नहीं।

    दूसरी वजह ये है कि कवच प्रणाली अभी चुनिंदा ट्रेनों और मार्गों पर ही उपलब्ध है। विशेषज्ञ कवच प्रणाली की लागत को भी बड़ी समस्या मानते हैं। एक ट्रेन में कवच प्रणाली लगाने में लगभग 70 लाख रुपये की लागत आती है।

    हादसे

    जुलाई के 13 दिनों में 7 रेल हादसे

    7 जुलाई, 2021 से 17 जून, 2024 तक देश में 131 रेल हादसे हुए हैं। इस दौरान 64 यात्री और 28 मालगाड़ी हादसों का शिकार हुई हैं।

    बीते 3 सालों में हर महीने 2 यात्री और एक मालगाड़ी पटरी से उतरी है।

    18 जुलाई से लेकर 30 जुलाई तक ही देशभर में 7 रेल हादसे हुए हैं। 31 जुलाई से लेकर बीते 6 हफ्तों में रेल हादसों में 17 लोगों की जान गई है।

    प्लस

    न्यूजबाइट्स प्लस

    भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। ये हर दिन ढाई करोड़ से ज्यादा यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाता है।

    इतना ही नहीं, रोजाना 28 लाख टन से ज्यादा की माल ढुलाई भी रेलों से होती है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क है।

    रेलवे में 67,000 किलोमीटर से अधिक दूरी की पटरियां, 14,000 रेलगाड़ियां और 8,000 स्टेशन हैं।

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