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क्या पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि 'वंदे मातरम' बने भारत का राष्ट्रगान? जानिए पूरी सच्चाई
जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम की जगह जन-गण-मन को राष्ट्रगान के लिए उपयुक्त बताया था

क्या पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि 'वंदे मातरम' बने भारत का राष्ट्रगान? जानिए पूरी सच्चाई

लेखन गजेंद्र
Dec 08, 2025
03:08 pm

क्या है खबर?

राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ को लेकर आज लोकसभा में बहस चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। इस बीच एक और बहस छिड़ गई है कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम को राष्ट्रगान बनाने से इंकार कर दिया था। इसको लेकर 21 मई, 1948 के कैबिनेट नोट में जिक्र है। क्या सच में नेहरू 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगान बनाने के विरोध में थे? आइए, जानते हैं।

कैबिनेट

कैबिनेट नोट में नेहरू ने 'वंदे मातरम' को लेकर क्या कहा?

नेहरू ने नोट में लिखा, 'एक राष्ट्रगान, बेशक, शब्दों का एक रूप है, लेकिन उससे भी ज्यादा यह एक धुन या संगीत की धुन है। इसे ऑर्केस्ट्रा और बैंड अक्सर बजाते हैं और बहुत कम ही गाते हैं। इसलिए, राष्ट्रगान का संगीत सबसे महत्वपूर्ण कारक है। यह जीवन और गरिमा से भरपूर होना चाहिए और इसे बड़े और छोटे ऑर्केस्ट्रा और सैन्य बैंड और पाइप द्वारा प्रभावी ढंग से बजाया जा सके।'

राष्ट्रगान

राष्ट्रगान के लिए क्यों उपयुक्त था 'जन-गण-मन'?

नेहरू ने आगे लिखा, 'इसे न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी बजाया जाना चाहिए और ऐसा होना चाहिए जिसे इन दोनों जगहों पर आम तौर पर सराहा जाए। 'जन-गण-मन' इन कसौटियों पर खरा उतरता प्रतीत होता है...अपनी सारी सुंदरता और इतिहास के बावजूद, 'वंदे मातरम' ऑर्केस्ट्रा या बैंड के लिए आसान धुन नहीं है। यह बल्कि करुण, शोकाकुल और दोहराव वाला है। विदेशियों के लिए इसे एक संगीत के रूप में समझना विशेष रूप से कठिन है।'

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चयन

'वंदे मातरम' की भाषा बहुत कठिन- नेहरू

नेहरू ने आगे लिखा, 'इसमें वे विशिष्ट विशेषताएं नहीं, जो 'जन-गण-मन' में हैं। यह हमारी लालसा के संघर्ष के दौर को बहुत सच्चाई से दर्शाता है, न कि भविष्य में उसकी पूर्ति को। 'वंदे मातरम' की भाषा एक औसत व्यक्ति के लिए बहुत कठिन है, जबकि 'जन-गण-मन' सरल है। हालांकि इसमें सुधार की गुंजाइश है। इसे देखते हुए, मेरा सुझाव है कि हम 'जन-गण-मन' को अस्थायी राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार करें, जिसे सभी उपयुक्त अवसरों पर बजाया जाना चाहिए।'

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पत्र

नेहरू ने बीसी रॉय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी लिखा था पत्र

नेहरू ने 'जन-गण-मन' को राष्ट्रगान के रूप में अपनाने के पक्ष में तर्क देते हुए कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री बीसी रॉय को 15 जून, 1948 को पत्र में लिखा था कि कुछ मुसलमानों द्वारा 'वंदे मातरम' पर आपत्ति करने का कोई सवाल ही नहीं है। इसके बाद नेहरू ने लगभग एक हफ्ते बाद, 21 जून, 1948 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पत्र का जवाब दिया और राष्ट्रगान पर अपनी बात दोहराई थी।

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