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कौन था 26 बड़े हमलों को अंजाम देने वाला माओवादी कमांडर मादवी हिडमा?
शीर्ष माओवादी कमांडर मादवी हिडमा कम उम्र में माओवादी गतिविधि में शामिल हो गया था

कौन था 26 बड़े हमलों को अंजाम देने वाला माओवादी कमांडर मादवी हिडमा?

लेखन गजेंद्र
Nov 18, 2025
03:18 pm

क्या है खबर?

नक्सलवाद के खिलाफ अभियान में सुरक्षाबलों को आज उस समय बड़ी कामयाबी मिली, जब आंध्र प्रदेश में शीर्ष माओवादी कमांडर मादवी हिडमा को मार गिराया गया। हिडमा, जिसे हिडमालू और संतोष भी पुकारते हैं, वह भारत के सर्वाधिक वांछित माओवादी कमांडरों में एक था। हिडमा 16 साल की उम्र में माओवादी गतिविधियों में शामिल हो गया और देश को चौंकाने वाली कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया था। जानिए कौन था माडवी, जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था।

परिचय

कैसे माओवादी बना हिडमा?

हिडमा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में पुवार्ती गांव में हुआ था। तब सुकमा मध्य प्रदेश का हिस्सा था। हिडमा गोंड आदिवासी समुदाय से था, जो बस्तर के जंगलों में रहने वाले एक गरीब किसान परिवार का बेटा था। उसने गांव में ही दसवीं तक पढ़ाई की थी, तब उसके गांव में माओवादी प्रभाव अधिक था। हिडमा गांव में गरीबी और आदिवासी शोषण को देखकर माआवोदी गतिविधियों की तरह आकर्षित हुआ और पोस्टर बांटना शुरू कर दिया।

नेतृत्व

16 साल की उम्र में बना पूर्णकालिक कैडर

NDTV ने रमेश पुडियामी उर्फ बदरन्ना के हवाले से बताया कि हिडमा ने काफी छोटी उम्र में उनसे आकर कहा था कि वह माओवादियों के आंदोलन में शामिल होना चाहता है। बदरन्ना को हिडमा का पहला गुरु माना जाता है। बदरन्ना हिडमा का उत्साह देखकर मान गए और उसे बैठकों में ले जाने लगे। हिडमा ने उनके लिए 2 साल काम किया। हिडमा को 16 साल की उम्र में पूर्णकालिक कैडर बना दिया गया और जंगल युद्ध में ट्रेनिंग ली।

सदस्य

सबसे कम उम्र में बना सेंट्रल कमेटी का सदस्य

हिडमा ने पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी (PLGA) का हिस्सा बनकर बंदूक चलाना और घात लगाना सीखा। इसके बाद 2000 के दशक में उसे PLGA में सिपाही से डिप्टी कमांडर बनाया गया। वर्ष 2010 तक वह बटालियन नंबर-1 का कमांडर बन गया। वर्ष 2012-13 में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (DKSZC) का सदस्य बना और 2017 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी में शामिल हो गया। हिडमा की उम्र तब 33 साल थी, जो सबसे युवा सदस्य था।

घटना

इन बड़े हमलों ने उसे शीर्ष तक पहुंचाया?

हिडमा ने छत्तीसगढ़ में 26 बड़े हमलों को अंजाम दिया था, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। उसने 2010 में दंतेवाड़ा में घात लगाकर IED हमले से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 76 जवानों को उड़ाया था। उसने 2013 में झीरम घाटी में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं समेत 27 लोग मारे थे, जिसमें महेंद्र कर्मा और विद्या चरण शुक्ला जैसे नेता शामिल थे। वर्ष 2017 में सुकमा में 12 CRPF जवान और 2021 ताररेम-सुकमा में 22 सुरक्षाबल मारे थे।

माहिर

हमले की योजना के कारण 'शैडो कमांडर' कहते थे साथी

हिडमा ने वर्ष 2013 में दर्भा घाटी में कई राजनीतिक नेताओं पर घात लगाकर हमला किया था। उसने 2009-2025 के बीच कई छोटे-बड़े IED धमाके किए थे, जिसमें 200 से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार उसे बताया जाता है। हमलों की योजना बनाने के कारण उसे 'शैडो कमांडर' कहते थे। 2025 तक वह नक्सल हिंसा का 'मोस्टवांटेड चेहरा' बन गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने 45 लाख, केंद्र ने 1 करोड़ का इनाम रखा। केंद्रीय एजेंसियों ने भी उसे वांटेड घोषित किया था।

शौकीन

4 बजे उठकर अखबार पढ़ता था हिडमा

पूर्व माओवादी और अब छत्तीसगढ़ जिला रिजर्व गार्ड (DRG) में शामिल सुंदरी ने बताया कि हिडमा सुबह 4 बजे उठता था और अखबार जरूर पढ़ता था। वह पढ़ने का भी शौकीन था। वह अपनी बटालियन को कठोर शारीरिक प्रशिक्षण करवाता था, जिसकी वजह से कुछ लोग उसे "निर्दयी" मानते थे। हिडमा फिटनेस को हथियार मानता था। माओवादी कमांडर बीफ, चिकन और चाय का शौकीन था। उसे कोई बुरी लत नहीं थी। वह शुगर का मरीज था, इसलिए चपाती खाता था।

जानकारी

पुलिस अधिकारी से ज्यादा कड़ी थी हिडमा की सुरक्षा

सुंदरी बताती हैं कि हिडमा जंगल युद्ध में माहिर था। वह अपने चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बनाकर चलता था। हिडमा की सुरक्षा राज्य पुलिस प्रमुखों से भी ज़्यादा कड़ी थी। उसके कमांडो अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे। वह गांवों में जाने से बचता था।

अंत

क्या उसके अंत से माओवादी आंदोलन पर असर पड़ेगा?

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू के जंगल में 55 साल की उम्र में हिडमा, उसकी पत्नी राजी उर्फ राजक्का और अन्य 5 माओवादी मारे गए हैं। अभियान को आंध्र की विशेष माओवादी विरोधी बल ग्रेहाउंड ने अंजाम दिया है। हिडमा के खात्मे को माओवाद विरोधी प्रयास का सफल मोड़ माना जा रहा है। उसका मारा जाना माओवादियों के लिए झटका है, क्योंकि वह शक्तिशाली सैन्य शाखा का प्रमुख था। हिडमा ही युवा आदिवासियों को माओवाद आंदोलन में शामिल करता था।