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कौन हैं सत्य साईं बाबा, जिनके शताब्दी समारोह में पहुंची प्रधानमंत्री मोदी समेत बड़ी हस्तियां?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्य साईं बाबा के साथ अपनी पुरानी मुलाकात की फोटो साझा की (तस्वीर: एक्स/@narendramodi)

कौन हैं सत्य साईं बाबा, जिनके शताब्दी समारोह में पहुंची प्रधानमंत्री मोदी समेत बड़ी हस्तियां?

लेखन गजेंद्र
Nov 19, 2025
04:43 pm

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़ी हस्तियां बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीसत्यसाईं जिले में हैं, जहां उन्होंने पुट्टपर्थी स्थित सत्य साईं बाबा के शताब्दी समारोह में भाग लिया। सत्य साईं आध्यात्मिक गुरु थे, जिनको भारत में काफी लोग पूजते हैं। उनका ट्रस्ट निशुल्क शिक्षा-चिकित्सा सेवाएं देता है। बुधवार को साईं की महासमाधि पर श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री मोदी के अलावा मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय बच्चन भी पहुंची थीं। आइए, जानें कौन हैं सत्य साईं बाबा।

पहचान

पैदा होने के बाद से चर्चा में आए सत्य साईं

सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नवंबर, 1926 को पुटपर्थी गांव में हुआ था। तब यह गांव अनंतपुर जिले में था। वर्ष 2022 में इसे सत्यसाईं जिला बनाकर पुट्टपर्थी को मुख्यालय बना दिया गया। उनके बचपन का नाम सत्यनारायण राजू रत्नाकर था। पैदा होने के बाद से उनकी चर्चा शुरू हो गई थी। गांव में चर्चा है कि उनका जन्म किसी चमत्कारिक घटना से कम नहीं है। वह बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली थे।

प्रतिभा

13 साल की उम्र में खुद को भगवान का अवतार बताया

सत्य साईं पढ़ने में अच्छे थे, लेकिन पढ़ाई में मन कम लगता था। 13 साल की उम्र में उन्होंने ध्यानमग्न रहना शुरू कर दिया और भविष्यवाणियों वाली कविताएं लिखने लगे। बताते हैं कि 13 साल की उम्र में एक बिच्छू के काटने के बाद उनका व्यवहार पूरी तरह बदल गया था। उन्होंने उस समय खुद को साईं बाबा (शिरडी वाले साईं बाबा का पुनर्जन्म) घोषित किया। घरवालों ने उनको पागल समझकर झाड़-फूंक कराई, लेकिन उन्होंने साईं की रट लगाए रखी।

आश्रम

पुट्टपर्थी के पुराने मंदिर में रहने लगे, जिसे भक्तों ने आश्रम बनवाया

सत्य साईं 1940 में ही पुट्टपर्थी में एक पुराने मंदिर में रहने लगे और राख, शिवलिंग, जपामालाएं आदि से चमत्कार दिखाने लगे। उनकी चर्चा फैलती गई और शिरडी साईं बाबा के कई पुराने भक्त पुट्टपर्थी आए और उन्हें शिरडी साईं का अवतार मानते हुए पूजा करने लगे। धीरे-धीरे देश-विदेश से लोग उनके दर्शन को आने लगे। भक्तों ने 1950 में मंदिर को 'प्रशांति निलयम' नाम से आश्रम बना दिया, जो आज भी काफी प्रसिद्ध है।

भक्त

डॉ राधाकृष्णनन से लेकर इंदिरा गांधी तक देते थे सम्मान

धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ने पर कई राजनेता उनके पास आशीर्वाद के लिए आने लगे। 1960-70 के दशक में राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन, वीवी गिरि, नीलम संजीव रेड्डी, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई नेता उनके दर्शन के लिए प्रशांति निलयम पहुंचते थे। उन्होंने 1968 में युगांडा की पहली और अंतिम विदेश यात्रा की थी, जिसके बाद उनकी 120 से अधिक देशों ने शाखाएं बन गईं। लोग दूर से बीमारों का इलाज कराने लगे थे।

शिक्षा

बाबा के अस्पतालों में मुफ्त इलाज और शिक्षा

सत्य साईं ने आध्यात्मिक कार्यों के अलावा जनसुविधाओं को बढ़ावा दिया, उसमें मदद की और शिक्षा-चिकित्सा के लिए लोगों की मदद की। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, मेक, महबूबनगर, चेन्नई और ओडिशा में उनकी पेयजल परियोजनाए हैं और अकेले अनंतपुर में 750 से अधिक गांवों को पीने का पानी मिलता है। प्रशांति निलयम, अनंतपुर, मुद्देनहल्ली, बेंगलुरु में MBBS, MBA, M.Tech तक पढ़ाई मुफ्त है। प्रशांति निलयम और बेंगलुरु व्हाइटफील्ड में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है, जिसमें लाखों मुफ्त ऑपरेशन होते हैं।

सराहना

प्रधानमंत्री मोदी और सचिन तेंदुलकर ने याद किया

पुट्टपर्थी में प्रधानमंत्री मोदी न कहा कि साईं अस्पताल में पहली बार आने वाले गरीब परिवार यह देखकर दंग रह जाते हैं कि वहां कोई बिलिंग काउंटर नहीं और इलाज मुफ्त है। सचिन तेंदुलकर ने कहा, "वर्ष 2011 में मुझे बेंगलुरु में बाबा ने अपनी किताब भेजी, जिसने मुझे आत्मविश्वास-आंतरिक शक्ति दी। किताब मेरी साथी बन गई और सबको पता है कि 2011 में क्या हुआ था।" 2011 में भारत ने मुंबई में श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप जीता था।

विवाद

विवाद में भी घिरे थे बाबा

बाबा का जीवन 1990-2000 में काफी उथल-पुथल रहा, जब उनपर अधिकतर पूर्व पुरुष भक्तों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। ब्रिटिश संसद ने 2002 में एक प्रस्ताव पारित कर भारत की यात्रा करने वाले ब्रिटिश परिवारों को बाबा के निजी दर्शन से आगाह तक किया था। हालांकि, बाबा पर कभी कोई मुकदमा नहीं चला और न कोई FIR दर्ज हुई। बाबा की मौत 28 मार्च, 2011 को दिल-गुर्दे की बीमारी से हुई थी। उनकी समाधि प्रशांति निलयम में है।