भारत आर्टेमिस समझौते से जुड़ने वाला 26वां देश बना, ISS पर अंतरिक्ष यात्री भेजेंगे भारत-अमेरिका
क्या है खबर?
भारत ने आर्टेमिस समझौते से जुड़ने का फैसला लिया है। आज व्हाइट हाउस ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां 2024 में साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अंतरिक्ष यात्री भेजेंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इससे संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी 23 जून तक अमेरिका के दौरे पर हैं और आज बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।
क्या है
क्या है आर्टेमिस समझौता?
आर्टेमिस समझौता 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि (OST) पर आधारित एक पहल है, जिसके तहत साल 2025 तक इंसानों की चांद पर वापसी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न देशों के बीच मार्गदर्शक सिद्धांतों के एक संग्रह पर समझौते हो रहे हैं।
यह एक रोडमैप की तरह है, जो देशों को अंतरिक्ष से जुड़े क्रियाकलापों को करने में मदद करता है। इसकी अगुवाई अमेरिका कर रहा है और अब तक 25 देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
मिशन
ISS के लिए अमेरिका और भारत का संयुक्त मिशन
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नासा (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) साल 2024 में ISS पर एक संयुक्त मिशन के जरिए अंतरिक्ष यात्री भेजेंगी।
एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा, "हम अंतरिक्ष से जुड़ी यह घोषणा करने में सक्षम है कि भारत आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर कर रहा है, जो सभी मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के एक आम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।"
संधि
क्या है 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि?
बाह्य अंतरिक्ष में किसी भी तरह की गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए 1967 में बाहरी अंतरिक्ष संधि हुई थी। शीत युद्ध के दौर में हुई इस संधि का उद्देश्य अंतरिक्ष के संसाधनों के एकतरफा दोहन रोकना है।
यह संधि सदस्य देशों को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये बाहरी अंतरिक्ष का प्रयोग करने की इजाजत देती है। यह संधि संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा लागू की गई थी। भारत भी इस संधि का हिस्सा है।
बयान
NASA ने कहा था- भारत वैश्विक अतंरिक्ष शक्ति
हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA में प्रौद्योगिकी, नीति और रणनीति के लिए सहायक प्रशासक भव्य लाल ने कहा था कि मई, 2023 तक आर्टेमिस समझौते पर 25 हस्ताक्षरकर्ता हैं और उम्मीद है कि भारत 26वां देश बनेगा।
उन्होंने कहा था, "NASA दृढ़ता से महसूस करता है कि भारत एक वैश्विक शक्ति है। वह उन कुछ देशों में से है, जिनकी अंतरिक्ष तक स्वतंत्र पहुंच है, एक संपन्न प्रक्षेपण उद्योग है। उसे आर्टेमिस में शामिल होने की आवश्यकता है।"
भारत-अमेरिका
अंतरिक्ष के क्षेत्र में करीब आ रहे हैं भारत-अमेरिका
इसी साल भारत-अमेरिका ने अंतरिक्ष से जुड़े कई क्षेत्रों में समझौते पर सहमति जताई थी। इसके तहत भारत और अमेरिका अंतरिक्ष में इंसानों से जुड़े अभियानों और व्यवसायिक समझौतों में एक-दूसरे की मदद करेंगे।
ISRO और NASA 1.5 अरब डॉलर की लागत वाले निसार (NISAR) सैटेलाइट प्रोजेक्ट पर साथ काम कर चुके हैं। ये दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट मिशन है।
NASA भारत के चंद्रयान-1 से चांद पर पानी की खोज करने वाला उपकरण भी भेज चुका है।