देश के नाम राष्ट्रपति कोविंद का संबोधन, जानिये बड़ी बातें
देश के 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के नाम अपना संबोधन दिया। इसमें उन्होंने जवानों और किसानों का उल्लेख तो किया ही, साथ ही कम समय में कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए देश के वैज्ञानिकों की भी तारीफ की। उन्होंने गलवान का जिक्र करते हुए चीन को आगाह किया कि भारत की सेना किसी भी दुस्साहस को विफल करने को तैयार है। आइये, उनके संबोधन की बड़ी बातें जानते हैं।
किसानों को लेकर क्या बोले राष्ट्रपति?
राष्ट्रपति ने कहा, "विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोरोना वायरस की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी। यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है।" कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों का लंबे समय का इंतजार था, इससे किसानों को फायदा होगा। शुरुआती दौर में कृषि कानूनों को लेकर कुछ आशंकाएं थीं, जिन्हें दूर किया जा रहा है।
गलवान घाटी का किया जिक्र
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प का जिक्र करते हुए कहा, "पिछले साल कई मोर्चों पर अनेक चुनौतियां आई, जिनमें हमें अपनी सीमाओं पर विस्तारवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ा। ऐसी गतिविधियों को नाकाम करते हुए हमारे 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। देशवासी इन अमर जवानों के प्रति कृतज्ञ हैं।" उन्होंने आगे कहा कि भारत हर हाल में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा में सक्षम है।
शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अटल भारत- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अटल है। फिर भी देश की सेनाएं सुरक्षा के खिलाफ किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि माइनस 50-60 डिग्री तापमान और सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर जैसलमर में झुलसा देने वाली गर्मी में भी धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में सेना के जवान भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं।
वैक्सीन को लेकर की वैज्ञानिकों की तारीफ
राष्ट्रपति कोविंद ने कम समय में वैक्सीन तैयार करने के लिए देश के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत ने खुद की कोरोना वैक्सीन बना ली है। अब बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। उन्होंने देशवासियों से वैक्सीन लगवाने की अपील करते हुए कहा कि बेहतर स्वास्थ्य ही उन्नति के रास्ते खोलता है। गौरतलब है कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है।
कोरोना से जान गंवाने वालों के प्रति संवेदना- राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कोरोना के कारण बच्चों और युवा पीढ़ी की शिक्षा प्रक्रिया बाधित होने का खतरा था, लेकिन संस्थानों और शिक्षकों ने नई टेक्नोलॉजी अपनाकर यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की पढ़ाई चलती रहे। उन्होंने आगे कहा, "इस महामारी ने देश के लगभग डेढ़ लाख नागरिकों को अपनी चपेट में ले लिया। मैं उन सभी के शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं।"
भीमराव अंबेडकर के रास्ते पर चलें देशवासी- कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में देशवासियों से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलने की भी अपील की। उन्होंने आगे कहा कि संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं। ऐसी उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की जिम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं बल्कि देश के सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता और निष्ठापूर्वक पालन करेंगे।