क्या है अस्ट्राखान का 'हाउस ऑफ इंडिया', जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में किया जिक्र?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस की 2 दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया। इसमें उन्होंने भारत और रूस के दशकों पुराने संबंधों पर कहा कि जब वे रूस का नाम सुनते हैं, तो मन में एक ही भावना आती है कि रूस, भारत का सुख-दुख का साथी है। इस दौरान उन्होंने रूस के अस्ट्राखान में 'हाउस ऑफ इंडिया' का भी जिक्र किया। आइए जानते हैं यह क्या है और इसका गुजरात से क्या संबंध है।
"भारत-रूस संबंधों का प्रतीक अस्ट्राखान का हाउस ऑफ इंडिया है"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत-रूस संबंधों का एक प्रतीक अस्ट्राखान में स्थित हाउस ऑफ इंडिया भी है। 17वीं शताब्दी में गुजरात के व्यापारी वहां आकर बस गए थे। जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला था, तब मैं वहां गया था।" उन्होंने आगे कहा, "ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि लगभग 400 साल पहले, जब भारत, विशेषकर गुजरात से व्यापारी यहां आते थे, तो वे अस्ट्राखान की इस इमारत में जाते थे और वहीं रहते थे।"
रूस ने गुजराती व्यापारियों का किया सहयोग- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जब गुजरात सहित भारत के अन्य व्यापारी रूस पहुंचने लगे तो रूसी अधिकारियों ने उनके आगम को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। उनके लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाई और सुविधाएं मुहैया कराई।" उन्होंने आगे कहा, "रूसी अधिकारियों के इसी सहयोग के कारण भारतीय व्यापारी अपने देश से बाहर होने के बाद अपने स्वयं के कानून, धर्म की स्वतंत्रता सहित और भी बहुत कुछ करने में समक्ष हुए थे।"
मुख्यमंत्री रहने के दौरान किया था अस्ट्राखान का दौरा- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि साल 2001 में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान अस्ट्राखान के 'हाउस ऑफ इंडिया' का दौरा किया था। उस दौरान वह पहली बार राष्ट्रपति पुतिन से मिले थे। इसके बाद उन्होंने गुजरात और अस्ट्राखान के बीच सहयोग के लिए एक प्रोटोकॉल समझौते पर हस्ताक्षर कर भारत-रूस संबंधों को मजबूत किया था।
गुजरात और अस्ट्राखान के बीच क्या हुआ था समझौता?
गुजरात और अस्ट्राखान के बीच हुए समझौते में दोनों राज्य पेट्रो, हाइड्रोकार्बन, व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में एक साथ काम करने पर सहमत हुए थे। इस समझौते का वहां रहने वाले भारतीयों को भी फायदा हुआ था।
INSTC के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है 'हाउस ऑफ इंडिया'
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि अस्ट्राखान का 'हाउस ऑफ इंडिया' भारत और रूस के बीच अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के भी काफी महत्वपूर्ण है। 2 साल पहले INSTC से पहली वाणिज्यिक खेप अस्ट्राखान पहुंची थी। बता दें कि INSTC एक 7,200 किमी लंबा परिवहन नेटवर्क है, जो सबसे छोटा मांग उपलब्ध कराता। इसका लक्ष्य अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया, यूरोप के साथ-साथ भारत और ईरान के बीच माल के परिवहन को आसान बनाना है।
क्या है INSTC का मार्ग?
INSTC के लिए बना यह मार्ग भारत के मुंबई बंदरगार से शुरू होता है और ईरान में बंदर अब्बास और बंदर-ए-अंजली तक जाता है। उसके बाद यह कैस्पियन सागर को पार करके रूस में अस्ट्राखान, मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग तक पहुंचता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया रूस में 2 दूतावास और खोलने का ऐलान
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान भारत और रूस के संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए एक अहम घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि रूस के साथ यात्रा और व्यापार को और बढ़ावा देने के लिए कजान और येकातेरिनबर्ग शहरों में भी 2 नए वाणिज्य भारतीय दूतावास खोले जाएंगे। वर्तमान में भारत के रूस में 2 ही वाणिज्य दूतावास हैं। इनमें एक सेंट पीटर्सबर्ग और दूसरा व्लादिवोस्तोक में स्थित है।