शिमला में क्यों सड़कों पर उतरे हिंदू संगठनों के लोग, मस्जिद को लेकर क्या है विवाद?
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला बीते कुछ दिनों से खूब सुर्खियों में है। वजह है शिमला के संजौली चौराहे स्थित मस्जिद। आरोप है कि इस मस्जिद का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है। इसे लेकर हिंदू संगठनों के लोग कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और मस्जिद गिराने की मांग कर रहे हैं। मामले पर राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हो रही है। आइए जानते हैं पूरा विवाद क्या है।
जानिए कैसे शुरू हुआ ताजा विवाद
वैसे तो विवाद सालों पुराना है, लेकिन ताजा विवाद 31 अगस्त को शुरू हुआ। तब शिमला के मन्याली में एक सैलून मालिक और एक बिजली उपकरण दुकानदार के बीच विवाद हुआ। इसके बाद समुदाय विशेष के लोगों ने एक स्थानीय व्यक्ति के साथ मारपीट की थी। इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बाद में झड़प से शुरू हुआ ये विवाद मस्जिद के अवैध निर्माण तक पहुंच गया।
मस्जिद गिराने की बात क्यों कर रहे स्थानीय लोग?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मस्जिद अवैध है और बगैर अनुमति बनाई गई है। पहले ये मस्जिद 2 मंजिला था, जिसे धीरे-धीरे 5 मंजिला बना दिया गया। लोगों का कहना है कि नमाज के वक्त यहां काफी भीड़ होती है, जिससे दुकानदारों और रहवासियों को परेशानी होती है। कई लोग इसे स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दे से भी जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि बीते कुछ सालों में यहां बड़ी संख्या में बाहरी लोग आकर बस गए हैं।
क्या है मस्जिद का इतिहास?
मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह मस्जिद 1950 से पहले की है। वहीं, हिंदू संगठनों का कहना है कि इसका निर्माण 1996 के आसपास हुआ है। मस्जिद के इमाम शहजाद ने एक स्थानीय अखबार से कहा, "मस्जिद 1947 से पहले की है। पहले मस्जिद कच्ची थी और 2 मंजिल की थी। लोग मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ते थे, जिससे नमाज पढ़ने में दिक्कत आती थी। इसे देखते हुए लोगों ने चंदा इकट्ठा किया और मस्जिद निर्माण शुरू किया।"
मस्जिद के अवैध होने को लेकर क्या है विवाद?
2010 में मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री के मुताबिक, मस्जिद के लिए केवल एक मंजिल के निर्माण की अनुमति दी गई थी, लेकिन अवैध रूप से तीन और मंजिलें बनाई गई। 2010 में ही अवैध निर्माण का मामला कोर्ट में भी गया था। नगर निगम अब तक 35 बार अवैध निर्माण रोकने के आदेश जारी कर चुका है। 2023 में निगम ने मस्जिद के शौचालय तुड़वा दिए थे।
कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआ?
इस मामले में कमिश्वर कोर्ट में 46 बार सुनवाई हो चुकी है। आखिरी सुनवाई 7 सितंबर को हुई थी। तब नगर निगम शिमला के आयुक्त अत्री ने मस्जिद समिति के अध्यक्ष को अगली सुनवाई तक फंडिंग और मालिकाना हक को लेकर जवाब दाखिल करने को कहा है। संबंधित कनिष्ठ अभियंता (JE) को भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी। वक्फ और मस्जिद से जुड़े स्थानीय लोग इस मामले में प्रतिवादी हैं।
विधानसभा में भी हुआ था हंगामा
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था। उन्होंने कहा था, "मस्जिद का अवैध निर्माण हुआ है। पहले एक मंजिल बनाई, फिर बिना अनुमति के बाकी मंजिलें बनाई गईं। 5 मंजिल की मस्जिद बना दी गई है।" मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, 'क्या हिमाचल की सरकार भाजपा की है या कांग्रेस की? हिमाचल की 'मोहब्बत की दुकान' में नफरत ही नफरत है।'