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बिहार में अडाणी समूह की पीरपैंती ताप विद्युत परियोजना क्या है, जिसका कांग्रेस कर रही विरोध?
बिहार में अडाणी समूह की पीरपैंती ताप विद्युत परियोजना का विरोध कर रही है कांग्रेस

बिहार में अडाणी समूह की पीरपैंती ताप विद्युत परियोजना क्या है, जिसका कांग्रेस कर रही विरोध?

Sep 22, 2025
03:09 pm

क्या है खबर?

बिहार सरकार द्वारा भागलपुर में अडाणी समूह को पीरपैंती में एक ताप विद्युत संयंत्र स्थापित करने के लिए 1 रुपये प्रति वर्ष की दर पर पट्टा देने का राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है। इसको लेकर बिहार कांग्रेस ने पिछले सप्ताह राजधानी पटना स्थित अपने कार्यालय सदाकत आश्रम से बांस घाट स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद की समाधि तक एक विरोध मार्च निकाला, जिसका नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने किया था। आइए परियोजनों के बारे में जानते हैं।

परियोजना

पीरपैंती ताप विद्युत संत्रंत्र परियोजना क्या है?

पीरपैंती ताप विद्युत संत्रंत्र परियोजना भागलपुर जिले के पीरपैंती क्षेत्र में अडाणी पावर लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही 2,400 मेगावाट की कोयला आधारित बिजली परियोजना है। यह राज्य में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा निवेश है, जिसमें अडानी समूह लगभग 3 अरब डॉलर (लगभग 26,400 करोड़ रुपये) का निवेश कर रहा है। इस परियोजना में 800 मेगावाट की 3 इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इस परियोजना से 10,000-12,000 नौकरियां पैदा होने की भी उम्मीद है।

विरोध

कांग्रेस क्यों कर रही है परियोजना का विरोध?

कांग्रेस का आरोप है कि यह जमीन सौदा 10 लाख पेड़ों की कटाई के साथ बिहार के भविष्य को अडाणी के हाथों गिरवी रखने जैसा है और राज्य के संसाधनों की लूट है। पार्टी का दावा है कि मोदी-अडाणी साजिश के तहत उपजाऊ कृषि भूमि को बंजर घोषित किया गया है। हालांकि, बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने आरोपों को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा है कि यह परियोजना पारदर्शी निविदा प्रक्रिया का पालन करती है।

अन्य

कांग्रेस क्या लगाए हैं अन्य आरोप?

कांग्रेस का आरोप है कि 1,050 एकड़ भूमि अडानी पावर को 33 वर्षों के लिए मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष की दर से पट्टे पर दी गई है। यह अडाणी समूह को सरकार का उपहार है। इसी तरह इस परियोजना से राज्य में पर्यावरण विनाश हो जाएगा और कृषि भूमि रिकॉर्ड में बंजर हो जाएगी। इसी तरह परियोजना के बाद भी राज्य के निवासियों को महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों की तुलना में महंगी बिजली खरीदनी पड़ेगी।

प्रक्रिया

अडानी समूह को कैसे मिली परियोजना?

राज्य सरकार के अनुसार, अडानी पावर ने विद्युत अधिनियम की धारा 63 के तहत टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (TBCB) के माध्यम से आयोजित पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से यह परियोजना हासिल की है। उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि जमीन की दर, बिजली उत्पादन लागत कम करने के लिए चयन प्रक्रिया का हिस्सा थी और जमीन का स्वामित्व पूरी तरह से बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के पास है।

कीमत

क्या अडाणी समूह के लिए ही है 1 रुपए की कीमत?

नहीं, यह सिर्फ अडानी के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। इसी साल अगस्त में बिहार कैबिनेट ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज 2025 को मंज़ूरी दी थी, जिसके तहत योग्य निवेशकों को सिर्फ एक रुपये की टोकन दर पर जमीन देने की पेशकश की गई थी। इस नीति के तहत 100 करोड़ रुपये का निवेश और 1,000 नौकरियां पैदा करने वाले निवेशकों को 10 एकड़, 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करने वालों को 25 एकड़ तक मुफ्त जमीन मिलेगी।

बचाव

सरकार का पर्यावरण के नुकसान पर क्या है संदेश?

पेड़ों की कटाई के संबंध में मंत्री मिश्रा ने स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण के दौरान 10,055 पेड़ों की गणना की गई थी। केवल बिजली संयंत्र क्षेत्र (300 एकड़) और कोयला संचालन क्षेत्र के भीतर के पेड़ ही काटे जाएंगे। उसके बाद 100 एकड़ भूमि पर अनिवार्य वनरोपण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तापीय ऊर्जा की हमेशा उपलब्ध के कारण ही इससे मिलने वाली बिजली का खर्च नवीकरणीय ऊर्जा से अधिक होता है। ऐसे में यह थोड़ी महंगी पड़ती है।

जानकारी

अडाणी परियोजनाओं का अन्य जगह भी हुआ है विरोध

अडानी के भूमि अधिग्रहण का दूसरे राज्यों में भी विरोध हुआ है। झारखंड के गोड्डा में किसानों ने अडाणी की 1,600 मेगावाट की ताप विद्युत परियोजना के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण, धमकी और पुलिस बर्बरता का आरोप लगाया है।

संदर्भ

कांग्रेस का वर्तमान में विरोध करने के पीछे क्या है उद्देश्य?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद सामने आया है। कांग्रेस का आरोप है कि जब भी भाजपा चुनावी हार का सामना करती है, तो गौतम अडानी को तोहफे दिए जाते हैं। कांग्रेस ने महाराष्ट्र, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह के उदाहरण दिए हैं। इस बीच, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस बिहार के विकास में बाधा डालने की कोशिश कर रही है। बिहार सरकार जमीन बेच नहीं रही है, बल्कि पट्टे पर दे रही है।