क्या है भारत का 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' युद्धाभ्यास और चीन सीमा पर इसका क्या असर होगा?
क्या है खबर?
भारत ने पिछले सप्ताह अपनी पश्चिमी सीमा पर 'त्रिशूल' नाम से एक बड़ा युद्धाभ्यास कर पाकिस्तान को सकते में ला दिया था। इस अभ्यास का सीधा संदेश अरब सागर में भी गया था। अब, भारतीय सेना ने अपना ध्यान पूर्व में अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों की ओर मोड़ दिया है। यही कारण है कि सेना 11 से 15 नवंबर तक 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' नामक एक नया त्रि-सेवा अभ्यास शुरू करने जा रही है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
युद्धाभ्यास
क्या है 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' युद्धाभ्यास?
'पूर्वी प्रचंड प्रहार' एक त्रिस्तरीय युद्धाभ्यास है। इसका अर्थ यह है कि इसमें भारतीय सशस्त्र सेवाओं की तीनों शाखाएं (भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना) शामिल होंगी। इस अभ्यास का आयोजन 11 से 15 नवंबर तक 5 दिनों के लिए किया जाएगा। यह अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में होगा, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट एक अग्रिम क्षेत्र है। इस अभ्यास के जरिए पूर्वी सीमाओं पर भारत की युद्ध तैयारियों का परीक्षण किया जा सकेगा।
जानकारी
पूर्ण-स्पेक्ट्रम युद्ध का अनुकरण करने के लिए डिजाइन है अभ्यास
इस अभ्यास को पूर्ण-स्पेक्ट्रम युद्ध का अनुकरण करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में तीनों सेनाओं को शामिल किया गया है। यह चीन के साथ भारत की सीमा पर वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को प्रतिबिंबित करता है।
उद्देश्य
क्या है इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य?
इस अभ्यास का उद्देश्य भारत की 'थिएटर कमांड' अवधारणा को मान्य करना है, जो सेना, भारतीय नौसेना और वायुसेना को एकीकृत लड़ाकू संरचनाओं में एकीकृत करने की दीर्घकालिक योजना है। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने CNN-न्यूज18 को दिए साक्षात्कार में कहा, "अभ्यास का मुख्य आकर्षण विशेष बलों, मानवरहित प्लेटफार्मों, सटीक प्रणालियों और नेटवर्क संचालन केंद्रों का समन्वित उपयोग होगा, जो यथार्थवादी उच्च ऊंचाई वाली परिस्थितियों में एक साथ काम करेंगे।"
खासियत
क्या होगी इस अभ्यास की खासियत?
यह कोई अलग अभ्यास नहीं है। यह 'भला प्रहार' (2023) और 'पूर्वी प्रहार' (2024) जैसे संयुक्त अभ्यासों के बाद हो रहा है। इस अभ्यास में बहु-डोमेन एकीकरण, भूमि, वायु और समुद्र-आधारित संचालन को समन्वित करने, तकनीक-संचालित युद्ध के लिए ड्रोन युद्ध, AI-सक्षम निगरानी और उपग्रह-जुड़ी संचार प्रणालियों को शामिल किया जाएगा। इसी तरह इसमें सामरिक चपलता, ऊबड़-खाबड़ इलाकों में तेजी से लामबंदी के लिए नई रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं (TTP) को संशोधित करना और उनका परीक्षण करना भी शामिल होगा।
महत्व
अरुणाचल प्रदेश क्यों महत्वपूर्ण है?
अरुणाचल प्रदेश पर चीन हमेशा से दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता आया है। ऐसे में यह लंबे समय से एक भू-राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है। इस क्षेत्र में भारत के बढ़ते बुनियादी ढांचे और अग्रिम मोर्चे पर तैनाती ने चीन को परेशान कर रखा है। इस अभ्यास के जरिए भारत एक ऐसे क्षेत्र में सैन्य आत्मविश्वास और संचालनात्मक गहराई का प्रदर्शन कर रहा है, जहां असाधारण गतिशीलता और समन्वय की आवश्यकता होती है।
मायने
चीन के साथ संबंधों को लेकर क्यों मायने रखता है यह अभ्यास?
इस अभ्यास का समय रणनीतिक है। भारत, खासकर पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से सेक्टर में बार-बार गतिरोध के बाद LAC के पास निगरानी और गतिशीलता बढ़ा रहा है। भारत को इस अभ्यास के जरिए पूर्वी सीमा क्षेत्र में प्रतिक्रिया तंत्र को बेहतर बनाने और अधिक ऊंचाई पर एकीकृत रसद श्रृंखलाओं का परीक्षण करने में मदद मिलेगी। यह परीक्षण भविष्य में चीन के साथ किसी भी सीमा पर होने वाले संभावित टकराव में एक महत्वपूर्ण क्षमता साबित होगी।
अभ्यास
पिछले सप्ताह भारत ने शुरू किया 'त्रिशूल' युद्धाभ्यास
बता दें कि भारत वर्तमान में अपनी पश्चिमी सीमाओं पर 30 अक्टूबर से शुरू हुए 'त्रिशूल' युद्धाभ्यास में सेनाओं को क्षमता को परख रहा है। यह अभ्यास 10 नवंबर तक चलेगा। नौसेना संचालन महानिदेशक वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने इसे एक बहुत बड़ा, जटिल और बहु-डोमेन एकीकृत ऑपरेशन बताया है, जिसमें साइबर और अंतरिक्ष के पहलू भी शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस अभ्यास से डरकर पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया था।