मुंबई: क्या है आरे में पेड़ कटाई का मामला? जिस पर मचा है बवाल
बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आरे इलाके में पेड़ काटने के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद शुक्रवार रात से ही प्रशासन ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी। इस जगह से 2,646 पेड़ काटकर यहां पर मुबंई मेट्रो के लिए शेड बनाया जाएगा। कई पर्यावरणविद और भारी संख्या में लोग पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार रात को विरोध कर रहे कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
हाई कोर्ट ने रद्द की थी याचिकाएं
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने और मेट्रो शेड के निर्माण के लिए मिली पेड़ काटने की मंजूरी को रद्द करने से मना कर दिया था। कई लोग पेड़ों की कटाई रोकने और मेट्रो शेड को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं। आइये, यह पूरा मामला और इस पर विवाद की वजह जानते हैं।
मुंबई के लिए साफ हवा का जरिया है आरे इलाका
आरे इलाके को मुंबई के लिए साफ हवा का जरिया माना जाता है। लोगों का कहना है कि धीरे-धीरे इस क्षेत्र में अतिक्रमण बढ़ रहा है और यह खतरे में है। जून महीने में सरकार ने 1,300 हेक्टेयर इलाके में फैले इस इलाके में से 40 हैक्टेयर जमीन चिड़ियाघर बनाने के लिए दी थी। इसके बाद कुछ जमीन मुंबई मेट्रो को इसके शेड बनाने के लिए दी गई, जिसके लिए हजारों पेड़ काटे जाएंगे।
इलाके में अतिक्रमण का डर जता रहे लोग
स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है सरकार धीरे-धीरे इस इलाके को निजी बिल्डरों के लिए खोल देगी और इसके बाद यहां अतिक्रमण बढ़ जाएगा। बता दें, जिस इलाके में पेड़ काटने का विरोध हो रहा है, उसे आरे मिल्क कॉलोनी के नाम से जाना जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 4 मार्च, 1951 पौधारोपण कर इस कॉलोनी की नींव रखी थी। बाद में यह इलाका संजय गांधी नेशनल पार्क से जुड़ गया।
जाम से निपटने के लिए मेट्रो की जरूरत
आम लोगों के भय के विपरित अधिकारी दूसरा दावा करते हैं। उनका कहना है कि मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए आरे की 1,300 हेक्टेयर जमीन में से सिर्फ 30 हेक्टेयर की जरूरत है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर अश्विनी भिडे ने कहा था कि यह जमीन अपनी स्थिति और आकार के कारण मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए सबसे उपयुक्त है। उन्होंने कहा था कि भीषण जाम और भीड़ से भरी ट्रेनों वाले शहर के लिए मेट्रो की सख्त जरूरत है।
पेड़ों की कटाई के विरोध में उतरे लोग
मुंबई मेट्रो ने अपने प्रोजेक्ट के लिए ट्री अथॉरिटी से अनुमति मांगी थी। पेड़ काटने की अनुमति मिलने के बाद लोगों का इस तरफ ध्यान गया और उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन कर रहे लोगों को कहना है कि एक तरफ दुनियाभर में पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाने पर जोर दिया जा रहा है वहीं मुंबई में विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं। यह दिखाता है कि सरकार सतत विकास में भरोसा नहीं करती।
पेड़ कटने से वन्य जीवन को खतरा
मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले लोगों का यह भी कहना है कि एक बार पार्किंग शेड बनने के बाद सरकार दूसरे प्रोजेक्ट के लिए भी यहां से जमीन देना शुरू कर देगी। इससे इलाके की परिस्थितिकी और वन्यजीवन पर बुरा असर पड़ेगा। लोगों को कहना है कि पेड़ कटने से जंगल में रहने वाले जानवरों का ठिकाना उजड़ेगा और फिर वो शहर में घुसेंगे, जिससे उनके साथ-साथ लोगों की जान को भी खतरा होगा।
वन क्षेत्र नहीं है आरे का इलाका
वन विभाग का कहना है कि आरे कोई वन क्षेत्र नहीं है। इसकी स्थापना व्यवसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने के लिए हुई थी। इसे वन क्षेत्र घोषित करने की याचिका कोर्ट खारिज कर चुकी है।
चुनाव में साथ-साथ, लेकिन आरे पर एक-दूसरे के खिलाफ शिवसेना और भाजपा
शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी, लेकिन आरे के मामले पर दोनों का स्टैंड एक-दूसरे के खिलाफ है। शिवसेना आरे इलाके में मेट्रो प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है। पार्टी के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि मेट्रो के नाम पर पेड़ काटे जाना गलत और पर्यावरण के लिहाज से नुकसानदायक है। वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने विकास के लिए इस कदम को जायज ठहराया था।