MSP पर किसानों की राहुल गांधी से निजी विधेयक लाने की मांग, ये क्या होता है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसान संगठनों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है। संसद में हुई इस मुलाकात में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के बैनर तले 12 किसान नेताओं ने राहुल से MSP पर निजी विधेयक लाने की मांग रखी। राहुल ने कहा कि वे इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव डालेंगे। आइए जानते हैं निजी विधेयक क्या होता है।
क्या होता है निजी विधेयक?
संसद में 2 तरह से विधेयक पेश किए जाते हैं। जो विधेयक मंत्री पेश करते हैं, उसे सरकारी या सार्वजनिक विधेयक कहा जाता है। वहीं, अगर कोई सांसद किसी विधेयक को पेश करता है तो इसे निजी विधेयक कहा जाता है। निजी विधेयक राज्यसभा या लोकसभा किसी में भी पेश किया जा सकता है। स्पीकर या सभापति के विचार करने के बाद इस पर बहस कराई जाती है। जरूरत पड़ने पर मतदान भी होता है।
निजी और सार्वजनिक विधेयक में क्या अंतर होता है?
सार्वजनिक विधेयक केवल मंत्री, जबकि निजी विधेयक किसी भी सांसद द्वारा पेश किया जाता है। सार्वजनिक विधेयक को संसद में मंजूरी मिलने की संभावना ज्यादा होती है, जबकि निजी विधेयक की कम। अगर सार्वजनिक विधेयक पारित नहीं हो पाता है तो इससे सरकार की छवि पर असर पड़ता है, लेकिन निजी विधेयक के नामंजूर होने से सरकार पर कोई असर नहीं होता। सार्वजनिक विधेयक 7 दिन, जबकि निजी विधेयक के लिए एक महीने पहले नोटिस देना होता है।
अब तक कितने निजी विधेयक पारित किए गए हैं?
देश के इतिहास में अब तक 14 निजी विधेयक पारित होकर कानून बन गए हैं। इनमें लोकसभा की कार्यवाही और सांसदों के वेतन भत्ते से जुड़े निजी विधेयक महत्वपूर्ण हैं। आखिरी बार 1970 में किसी निजी विधेयक को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिली थी। यह सर्वोच्च न्यायालय (आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार) विधेयक, 1968 था। अब तक जो 14 निजी विधेयक पारित हुए हैं, उनमें से 5 राज्यसभा में पेश हुए थे।
किसान क्यों कर रहे हैं निजी विधेयक की मांग?
दरअसल, सरकार MSP पर कोई बात नहीं कर रही है। बजट में भी MSP पर कोई ऐलान नहीं हुआ। ऐसे में किसानों को निजी विधेयक लाना ही सबसे कारगर उपाय नजर आ रहा है। अगर ये विधेयक पारित नहीं होता है तो इससे सरकार की ही किरकिरी होगी, क्योंकि सरकार ने कभी भी MSP की कानूनी गारंटी के विरोध में कुछ नहीं कहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी ये कदम अहम है।
क्या होती है MSP?
सरकार किसानों की फसल के लिए एक न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती है, जिसे MSP कहा जाता है। यह एक तरह से सरकार की तरफ से गारंटी होती है कि किसान को हर हाल में उसकी फसल के लिए इतने कीमत जरूर मिलेगी। अगर मंडियों में किसान को MSP या उससे ज्यादा पैसे नहीं मिलते तो सरकार किसानों से उनकी फसल MSP पर खरीदती है। इससे बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर नहीं पड़ता।