क्या है 3,558 करोड़ रुपये का क्लाउड पार्टिकल घोटाला, जिसके सरगना को ED ने किया गिरफ्तार?
क्या है खबर?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3,558 करोड़ रुपये के 'क्लाउड पार्टिकल घोटाले' के मास्टरमाइंड सुखविंदर सिंह खरौर और डिंपल खरौर को गिरफ्तार किया है।
ये दोनों देश छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे थे, तभी दिल्ली हवाई अड्डे पर पकड़ा गए। गिरफ्तारी के बाद जालंधर की एक अदालत ने दोनों आरोपियों को ED की हिरासत में भेज दिया है।
दोनों पर 'सेल एंड लीज-बैक' (SB) मॉडल के तहत बड़ी धोखाधड़ी करने के आरोप हैं।
आइए जानते हैं ये घोटाला क्या है।
कंपनी
व्यूनाउ नामक कंपनी के जरिए धोखाधड़ी करते थे आरोपी
सुखविंदर और डिंपल व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विसेज लिमिटेड नाम से एक कंपनी चलाते हैं। इसका मुख्यालय पंजाब के मोहाली में है।
कंपनी क्लाउड पार्टिकल जैसी छोटी इकाइयों में डेटा सेंटर खरीदने के लिए निवेश करने को कहती थी, जिसके बदले भारी-भरकम रिटर्न देने का वादा किया जाता था।
आमतौर पर कंपनी टैक्स के बाद सालाना 30 से 35 प्रतिशत रिटर्न का वादा करती थी। जांच में सामने आया कि कंपनी ने करीब 25,000 लोगों को शिकार बनाया था।
तरीका
निवेशकों को कैसे ठगा जाता था?
कंपनी निवेशकों को क्लाउड पार्टिकल्स बेचती थी और इन्हीं क्लाउड पार्टिकल्स को लीज पर दे दिया जाता था। बदले में निवेशकों को हर महीने किराया दिया जाता था।
हालांकि, सच्चाई ये थी कि कंपनी के पास ऐसे कोई क्लाउड पार्टिकल्स या उनके प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा था ही नहीं। निवेशकों को भी काफी समय तक घोटाले की जानकारी नहीं लगती थी, क्योंकि उन्हें हर महीने किराया मिलता रहता था।
खुलासा
कैसे हुआ ठगी का खुलासा?
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR के बाद ED ने अपनी जांच शुरू की थी। इसके बाद कंपनी के 14 ठिकानों पर छापा मारा गया था और लाखों रुपये समेत कई अन्य देशों की मुद्रा भी जब्त की गई।
7 फरवरी को ED ने कंपनी की 6 अचल संपत्तियों, 73 बैंक खातों और 26 लग्जरी वाहनों को कुर्क किया था, जिनकी कीमत 178.12 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
कार्रवाई
अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है?
27 फरवरी को ED ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी करते हुए आरिफ निसार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। ED ने इससे पहले दिल्ली में निसार के परिसरों की तलाशी भी ली थी। निसार 4 मार्च तक ED की हिरासत में है।
अधिकारियों ने कहा कि निवेशकों की राशि से ठगों ने प्रीमियम कारें, सोना, हीरे और उच्च मूल्य की संपत्तियां खरीदीं और फर्जी कंपनियों के माध्यम से करोड़ों का लेनदेन किया।
रकम
लोगों से कितनी रकम ठगी गई?
ED के अनुसार, क्लाउड पार्टिकल के नाम पर निवेशकों से भारी रकम जुटाई गई, लेकिन इसका असली व्यापार या तो था ही नहीं या फिर इसे निवेशकों को गुमराह करने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।
इस फर्जी निवेश योजना के जरिए लगभग 3,558 करोड़ रुपये की रकम ऐंठी गई। पीड़ितों में 25,000 लोग शामिल हैं, जिनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं।
कंपनी को क्लाउड पार्टिकल्स की बिक्री के बदले करीब 2,200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।