प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस के बल प्रयोग पर क्या कहता है भारत का कानून?
क्या है खबर?
जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई की पूरे देश में जबरदस्त आलोचना हो रही है।
शांतिपूर्व विरोध प्रदर्शन किसी भी लोकतंत्र के केंद्र में होता है और बल के प्रयोग से उसे दबाया जाना किसी भी परिस्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता।
विरोध प्रदर्शनों के मामले में पुलिस द्वारा बल के प्रयोग पर देश का कानून क्या कहता है, इस पर एक नजर डालते हैं।
संविधान
संविधान में प्रदर्शन करने की आजादी, लेकिन लगाई गईं कुछ पाबंदियां
संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(b) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत नागरिकों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का मौलिक अधिकार दिया गया है।
लोग किसी भी मुद्दे पर शांतिपूर्ण तरीके और बिना हथियारों के प्रदर्शन कर सकते हैं।
हालांकि, अनुच्छेद 19(2) और 19(3) के तहत देश की एकता और संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा, अन्य देशों के साथ दोस्ताना संबंध, कानून व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता, कोर्ट की अवमानना, मानहानि और हिंसा भड़काने के मामलों में इस पर पाबंदी लगाई जा सकती है।
जानकारी
CrPC, IPC और पुलिस अधिनियम में कानूनी प्रावधान
अगर कानूनी प्रावधानों की बात करें तो आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), भारतीय दंड संहिता (IPC) और पुलिस अधिनियम में बताया गया है कि पुलिस विरोध प्रदर्शनों को संभालने के लिए क्या-क्या कर सकती है।
कानूनी प्रावधान
क्या कहता है CrPC?
CrPC की धारा 129 के तहत किसी भी पुलिस स्टेशन का इनचार्ज या कार्यकारी मजिस्ट्रेट सार्वजनिक शांति भंग की आशंका होने पर किसी भी गैरकानूनी सभा या पांच से अधिक लोगों को प्रदर्शन बंद करने का आदेश दे सकते हैं।
इस आदेश का पालन करना लोगों का कर्तव्य है।
हालांकि, लोग ऐसा नहीं करते तो पुलिस या मजिस्ट्रेट को बल के प्रयोग करके उन्हें भगा सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है।
बल प्रयोग
CrPC में कही गई कम से कम बल प्रयोग की बात
CrPC की धारा 130 में प्रदर्शनों को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बलों के प्रयोेग के बारे में बात की गई है।
इसके अनुसार, प्रदर्शनों को तितर-बितर करने और इसमें हिस्सा ले रहे लोगों को हिरासत में लेने के लिए सशस्त्र बलों को जितना कम हो सके बल का प्रयोग करना चाहिए।
इसके अलावा सशस्त्र बलों को संपत्ति और लोगों को कम से कम नुकसान पहुंचाने की कोशिश होेनी चाहिए।
गैरकानूनी प्रदर्शन
IPC के अनुसार, हिंसा करने पर प्रदर्शन का हर व्यक्ति होगा जिम्मेदार
वहीं IPC की धारा 141 में बताया गया है कि एक गैरकानूनी सभा (प्रदर्शन) क्या है।
इसके अनुसार, एक गैरकानूनी सभा पांच या उससे अधिक लोगों की सभा है जिसका मकसद आपराधिक बल के प्रयोग से सरकार या सरकारी कर्मचारियों को आतंकित करना या किसी कानून या कानूनी प्रक्रिया के क्रियान्वयन का विरोध करना या कोई अपराध करना हो।
धारा 146 के अनुसार, अगर कोई गैरकानूनी सभा हिंसा करती है तो उसका हर सदस्य दंगा करने का दोषी होगा।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट
कोर्ट ने बल प्रयोग से पहले लगाई तीन शर्तें
अगर कोर्ट के रुख की बात करें तो 8 अगस्त, 1979 को करम सिंह बनाम हरदयाल सिंह केस में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शनों के मामले में बल प्रयोग से पहले तीन शर्तों का पूरा करना जरूरी है।
पहली ये कि प्रदर्शन गैरकानूनी होना चाहिए जिसका मकसद हिंसा या शांति भंग करना हो, दूसरा प्रदर्शनकारियों को वहां से शांतिपूर्वक जाने को कहा जाना चाहिए और अगर वो नहीं जाते तभी बल का प्रयोग करना चाहिए।