पानी में डूबा बेंगलुरू का बड़ा हिस्सा, क्या हैं शहर में आई बाढ़ के प्रमुख कारण?
क्या है खबर?
बेंगलुरू में आई बाढ़ की चर्चा इन दिनों पूरे देश में हो रही है।
सोशल मीडिया पर शेयर हो रहीं तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कैसे पानी लोगों के घरों के भीतर घुस गया है। भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से जाने जाने वाले इस शहर के एक बड़े हिस्से में पानी भरा हुआ है और लोगों को मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
आइये, समझने की कोशिश करते हैं कि ये हालात आखिर बने कैसे।
बसावट
सबसे पहले समझिये स्थिति?
बेंगलुरू कावेरी और पोन्नियार नदी के पानी को दो हिस्सों में बांटने वाले रिज पर स्थित है। इस शहर में कई घाटियां हैं, जो इन दोनों नदियों के पानी को ले जाने के लिए नाली के तौर पर काम करती थी।
शुरुआत में पूरी बसावट रिज के ऊपर थी, जबकि इन घाटियों का खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फसलों को पानी देने के लिए यहां बंद बनाकर झीलें तैयार की गई थीं।
इंतजाम
पानी की निकासी के लिए बनाई गई थीं नहरें
इंडिया टुडे पर छपे एक लेख के मुताबिक, पुरानी नालियों को दोबारा डिजाइन कर नहरें तैयार की गईं ताकि झीलों से फसलों को पानी दिया जा सके और अतिरिक्त पानी को आगे बहाया जा सके। इस दौरान बनाए गए कई नाले निजी जमीनों पर बने हुए थे।
धीरे-धीरे शहर की आबादी और उनकी जरूरतें बढ़ती रही और जमीन की मांग तेज हो गई।
1901 में बेंगलुरू की आबादी 1.6 लाख थी, जो आज एक करोड़ से अधिक हो गई है।
कारण
निर्माण और विकास कार्यों से बिगड़े हालात
आबादी बढ़ने के साथ ही शहर में जमीन की मांग तेजी हो गई और बिना दुष्प्रभावों की परवाह किए घाटियों में निर्माण कार्य शुरू हो गया।
निर्माण की चपेट में वहां बने नाले और नहरें भी आ गईं और वो समय के साथ लुप्त होती गईं।
निर्माण कार्यों से न सिर्फ पानी के जमीन में जाने का रास्ते बंद हुए बल्कि घाटियों में पानी का प्रवाह भी अवरुद्ध हो गया।
बेंगलुरू
पानी के रास्ते में अवरोध साबित हुए निर्माण कार्य
निजी जमीनों पर बने नाले निर्माण कार्यों के साथ ही गायब होते गए और सरकारी नाले तेज बारिश के दौरान पानी की निकासी के लिए अपर्याप्त साबित हुए। एक के बाद एक बनी इमारतें, सीवरेज का बहाव और नहरों में पड़ी गंदगी और कचरे के कारण यहां से पानी का निकलना और मुश्किल होता गया।
घाटी में हुए निर्माण कार्य और नहरों के बहाव में आई रुकावटें शहर को भारी बारिश के पानी में डूबने से नहीं बचा सकी।
जानकारी
घाटी वाले इलाके में आती है ज्यादा बाढ़
इस साल भी बारिश के कारण बेंगलुरू का एक हिस्सा ज्यादा प्रभावित हुआ है और वह घाटी में बसा इलाका है। बहुत ही कम मौके रहे हैं, जब इस इलाके के बाहर मौजूद शहर को बाढ़ का सामना करना पड़ा हो।
बेंगलुरू
शहर के नए इलाकों मे बढ़ रहा बाढ़ का खतरा
आबादी में इजाफे के चलते शहर तेजी से फैल रहा है और नए इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
इस साल बेंगलुरू-मैसूर एक्सप्रेसवे का एक हिस्सा पानी में डूब गया है, जबकि इसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
घाटी के बीच बन रहे इस एक्सप्रेसवे और टोलगेट के लिए जमीन के साथ काफी छेड़छाड़ की गई है और इससे पानी का बहाव भी प्रभावित हुआ है। इसका नतीजा बाढ़ के तौर पर देखने को मिल रहा है।
बेंगलुरू में बाढ़
मोटा-मोटी ये कारण रहे जिम्मेदार
कंक्रीट के बढ़ते इस्तेमाल के चलते ज्यादातर जगहें पक्की हो गई हैं, जिससे पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है।
इसके अलावा बिना किसी उचित योजना के किए जा रहे निर्माण, बारिश के पानी की निकासी के लिए अपर्याप्त इंतजाम और अतिरिक्त पानी को स्टोर करने के लिए कोई इंतजाम न होना बेंगलुरू में बाढ़ के सबसे बड़े कारणों में शामिल रहे।
हालांकि, यह केवल बेंगलुरू का हाल नहीं है और दूसरे शहरों में भी स्थिति ऐसी ही है।