उत्तराखंड: सुरंग से सुरक्षित लौटे बेटे को नहीं देख सके बुजुर्ग पिता, कुछ घंटे पहले मौत
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकलने पर जहां पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं झारखंड के 70 वर्षीय बासेत मुर्मू अपने बेटे को नहीं देख सके। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, बासेत पिछले 16 दिनों से अपने 29 वर्षीय बेटे भक्तु मुर्मू के सुरंग से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन मंगलवार को उनके बेटे के सुरंग से निकलने के कुछ घंटे पहले उन्होंने दम तोड़ दिया।
घटना की जानकारी मिलने पर अवसाद में चले गए थे बासेत
रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया में स्थित बहदा गांव में रहने वाले बासेत बेटे के सुरंग में फंसने की खबर पाकर काफी चिंतित थे और अवसाद में चले गए थे। बासेत के दामाद ठाकर हांसदा ने बताया कि वह 12 नवंबर से भक्तू को लेकर चिंतित थे और मंगलवार की सुबह लगभग 8:00 बजे अचानक खाट से गिर गए और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
बासेत के तीनों बेटे थे बाहर
रिपोर्ट के मुताबिक, बासेत का बड़ा बेटा रामराय मुर्मू चेन्नई में काम करता है, जबकि दूसरा बेटा मंगल मुर्मू दिहाड़ी मजदूर है। तीसरा बेटा भक्तु उत्तराखंड में काम कर रहा था। मंगलवार को बासेत की मृत्यु के समय उनके पास उनकी पत्नी पिटी मुर्मू, उनकी बहन और बहनोई थे। बासेत की खबर से भक्तु मुर्मू भी काफी आहत हैं। बता दें, 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहने के बाद मंगलवार को 41 मजदूर सकुशल बाहर आ गए हैं।