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कितना खास है त्रिपुरा का त्रिपुरासुंदरी मंदिर, जिसका प्रधानमंत्री मोदी पुनर्विकास के बाद किया उद्घाटन? 
त्रिपुरा में बने त्रिपुरासुंदरी मंदिर में पुनर्विकास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया

कितना खास है त्रिपुरा का त्रिपुरासुंदरी मंदिर, जिसका प्रधानमंत्री मोदी पुनर्विकास के बाद किया उद्घाटन? 

लेखन गजेंद्र
Sep 22, 2025
04:59 pm

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने त्रिपुरा में 500 साल से ज्यादा पुराने त्रिपुरासुंदरी मंदिर में भी दर्शन किए हैं। त्रिपुरासुंदरी कलकत्ता के कालीघाट और गुवाहाटी के कामख्या देवी के बाद तीसरा प्रमुख शक्तिपीठ है, जो 51 शक्तिपीठ में शामिल है। मंदिर को तीर्थयात्रा पुनर्जीवन एवं आध्यात्मिक विरासत संवर्धन योजना (PRASAD) के तहत पुनर्विकसित किया गया है। आइए जानते हैं मंदिर की विशेषताएं और इसमें क्या विकास कार्य हुए हैं।

विशेषता

मंदिर की क्या है विशेषता?

त्रिपुरा में गोमती जिले के उदयपुर में स्थित 524 साल पुराने इस मंदिर की स्थापना 1,501 ईसवी में त्रिपुरा के राजा महाराजा धन्या मणिक्य ने की थी। मंदिर का आकार कछुए जैसा होने के कारण इसे 'कूर्म पीठ' (कछुए का पीठ) भी कहा जाता है। यहां दुर्लभ बोस्तामी कछुओं की आबादी है, जो पवित्र माने जाते हैं। यहां गर्भगृह में 2 काली पत्थर की मूर्तियां हैं, जिसमें एक त्रिपुरासुंदरी और दूसरी छोटो-मा (छोटी-मां) चंडी देवी की मूर्ति है।

जानकारी

बंगाल शैली की कलात्मक नक्काशीदार द्वार हैं

मंदिर की वास्तुकला बंगाल शैली की है। यहां लाल पत्थरों की ऊंची दीवारें और कलात्मक नक्काशीदार द्वार हैं। परिसर में कल्यान सागर पवित्र तालाब है। इसे पुनर्जीवित किया गया है। पूरे मंदिर को तीर्थ स्थल के रूप में 52.04 करोड़ रुपये में संवारा गया है।

विकास

मंदिर में क्या-क्या हुए विकास कार्य?

मंदिर का विकास कार्य अगस्त 2021 में शुरू हुआया था। यहां के 6,784 वर्ग मीटर निचली मंदिर पर विशाल लॉबी, 86 दुकानें, 2 मल्टीपर्पस हॉल और प्रसाद घर बनाए गए हैं। पहली मंजिल पर 2317 वर्ग मीटर में पुरोहितों और स्वयंसेवकों के लिए आवासीय कक्ष और कारिडोर है। छत पर 7355 वर्ग मीटर में मुख्य मंदिर, शिव मंदिर, यात्री शेड और 5 जलाशयों को पुनर्विकसित किया गया है। यहां लैंड स्कैपिंग, ध्यान केंद्र और लिफ्ट भी बनाए गए हैं।

जानकारी

मंदिर के प्रसाद पेड़े को मिला GI टैग

मंदिर के प्रसाद पेड़े को भौगोलिक संकेत यानी GI मिल चुका है। मंदिर की कुछआ आकार को और अधिक संवारा गया है। यहां हर दिवाली पर बड़ा मेला लगता है। इसे तीर्थ पर्यटन की दृष्टि से संवारा गया है।

ट्विटर पोस्ट

मंदिर में हुए विकास कार्य

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माता त्रिपुरासुंदरी के दर्शन