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सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी को बताया गंभीर, CBI को दिया देशव्यापी जांच का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट मामले में CBI को दिया जांच का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी को बताया गंभीर, CBI को दिया देशव्यापी जांच का आदेश

Dec 01, 2025
03:42 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी की देशव्यापी जांच शुरू करने का आदेश दिया है, जिसमें हाल के महीनों में कई पीड़ितों से सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी गई गई है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता बताते हुए सभी राज्य सरकारों को इस मामले की जांच के लिए CBI को आवश्यक सहमति प्रदान के भी निर्देश दिए हैं।

आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी पर देश की प्रमुख जांच एजेंसी को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए, हम स्पष्ट निर्देश देते हैं कि CBI पहले इन मामलों की जांच करेगी। अन्य प्रकार की साइबर धोखाधड़ी की जांच अगले चरणों में की जाएगी।" कोर्ट ने कहा, "सभी विपक्षी दलों के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को इस जांच में सहयोग करते हुए CBI को आवश्यक सहमति भी देनी होगी।"

नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने RBI को नोटिस देकर मांगा जवाब

कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि साइबर धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों को तुरंत फ्रीज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) या मशीन लर्निंग तकनीकों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है। इसी तरह कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी मध्यस्थों को निर्देश दिया कि वे डिजिटल अरेस्ट अपराधों की जांच में CBI को पूर्ण विवरण और पूर्ण सहयोग प्रदान करें, ताकि दोषियों पर र्कारवाई हो सके।

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सहायता

CBI को दिए इंटरपोल की सहायता लेने के भी निर्देश

कोर्ट ने CBI को यह भी कहा गया कि वह विदेशी कर पनाहगाहों से संचालित साइबर अपराधियों पर नजर रखने के लिए इंटरपोल से सहायता ले। इसी तरह दूरसंचार विभाग (DoT) से यह सुनिश्चित करने को कहा कि दूरसंचार ऑपरेटर एक ही उपयोगकर्ता को एक से अधिक सिम कार्ड जारी न करें, जिससे साइबर अपराधों के लिए उनका दुरुपयोग न हो। कोर्ट ने सभी राज्यों को राज्य स्तरीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करने को भी कहा है।

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निर्देश

कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया अहम निर्देश

कोर्ट ने केंद्र को गृह मंत्रालय, दूरसंचार और वित्त मंत्रालय सहित विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के विचार अदालत के समक्ष रखने को भी कहा है, ताकि साइबर अपराधों के खिलाफ कदम उठाने में सहायता मिल सके। त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और उनकी पुलिस एजेंसियां, CBI के साथ मिलकर नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए स्वतंत्र हैं।

सवाल

क्या है डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी?

डिजिटल अरेस्ट, साइबर धोखाधड़ी की उन घटनाओं को कहते हैं जिनमें सारबर अपराधी जांच एजेंसियों और पुलिस के अधिकारियों का रूप धारण करके वीडियो या फोन कॉल के जरिए पीड़ितों से संपर्क करते हैं और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग या अवैध पार्सल जैसे अपराधों का झूठा आरोप लगाते हैं। आरोपी पीड़ित को 'डिजिटल अरेस्ट' में होने का दावा करते हैं, उनसे बातचीत पर रोक लगाते हैं और तुरंत कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर मोटी रकम ऐंठ लेते हैं।

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