सुप्रीम कोर्ट से सद्गुरु को बड़ी राहत, तमिलनाडु पुलिस की जांच रोककर रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु सद्गगुरु को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट द्वारा ईशा फाउंडेशन की जांच के आदेश पर रोक लगा दी और तमिलनाडु पुलिस से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पारदीवाला की पीठ का यह आदेश कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की जांच की अनुमति देने वाले हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है।
ईशा फाउंडेशन के खिलाफ किसने दर्ज की है शिकायत
सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने हाई कोर्ट में एक दायर याचिका की है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी बेटियों गीता और लता को ईशा योग केंद्र में रहने के लिए "ब्रेनवॉश" किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार से संपर्क बनाए रखने की अनुमति नहीं दी। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनकी बेटियां ब्रिटेन से पढ़ी हैं। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को जांच के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या दोनों महिलाएं ऑनलाइन हैं, ताकि पीठ, उनसे बात कर सके। पीठ को बताया गया कि महिलाएं ऑनलाइन हैं। ऑनलाइन पेश हुई महिलाओं ने कहा कि दोनों मर्जी से आश्रम में हैं और उनके पिता उन्हें 8 साल से परेशान कर रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने परिसर में पुलिस की टुकड़ी की जगह एक न्यायिक अधिकारी को परिसर का दौरा करने और महिलाओं से बात करने को कहा है।
ईशा फाउंडेशन का क्या कहना है?
ईशा फाउंडेशन ने आरोपों से इनकार करते हुए हाई कोर्ट में कहा था कि 42 और 39 साल की 2 महिलाएं अपनी मर्जी से उसके परिसर में रह रही थीं। दोनों महिलाओं को हाई कोर्ट में भी पेश किया गया था, जहां उन्होंने इसकी पुष्टि की थी। ईशा फाउंडेशन ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता और अन्य लोगों ने तथ्य-खोज समिति का सदस्य होने के बहाने फाउंडेशन में अतिक्रमण करने का प्रयास किया था।
पुलिस के 150 कर्मियों ने मारा था छापा
कोयंबटूर के ईशा फाउंडेशन में मंगलवार को हाई कोर्ट के आदेश के बाद तमिलनाडु पुलिस ने व्यापक तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान आश्रम परिसर में 150 पुलिस कर्मियों की टीम जांच करने पहुंची थी, जिसका नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने किया था और इसमें 3 पुलिस उपायुक्त भी शामिल थे। पुलिस ने यहां लोगों से पूछताछ की थी और कमरों की तलाशी ली थी। हाई कोर्ट ने 4 अक्टूबर तक पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
आश्रम में चलती रहेगी POCSO की जांच
सुनवाई के दौरान भले ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को इस मामले की जांच करने से रोक दिया, लेकिन आश्रम के एक डॉक्टर पर हाल में POCSO अधिनियम के तहत लगे बाल शोषण के आरोपों की जांच जारी रखने को कहा है।