सुप्रीम कोर्ट के पतंजलि से तीखे सवाल, पूछा- क्या विज्ञापनों जितना बड़ा है माफीनामा
क्या है खबर?
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अखबारों में प्रकाशित किए गए माफीनामे को लेकर कंपनी और बाबा रामदेव से तीखे सवाल किए।
माफीनामे के छोटे आकार पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या माफीनामा भी इतना बड़ा छपा है, जितने बड़े आकार के पूरे पेज के विज्ञापन छपते हैं।
कोर्ट ने उसके आदेश के एक हफ्ते बाद और सुनवाई से मात्र एक दिन पहले माफीनामा छापने पर भी सवाल खड़े किए।
मामला
क्या है मामला?
पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किए थे, जिसे लेकर कोर्ट ने कंपनी को मानहानि का नोटिस जारी किया था।
हालांकि, पतंजलि ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया, जिसके बाद कोर्ट ने कंपनी के संस्थापक बाबा रामदेव और प्रबंधक निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण को तलब किया।
पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन दोनों के माफीनामे खारिज कर दिए और अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करने को कहा। पतंजलि ने सोमवार को माफीनामा प्रकाशित किया।
सुनवाई
कोर्ट ने पूछा- क्या प्रमुखता से प्रकाशित किया गया माफीनामा
आज सुनवाई के दौरान पतंजलि और रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी ने लाखों रुपये खर्च करके 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित कर दिया है।
इस पर न्यायाधीश हिमा कोहली ने उनसे कहा, "हमें इससे फर्क नहीं पड़ता। क्या माफीनामा प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है? क्या माफीनामा उसी फॉन्ट और आकार में प्रकाशित किया गया है, जिसमें आपके पहले के विज्ञापन प्रकाशित हुए थे?"
आदेश
कोर्ट का माफीनामे की कतरन पेश करने का आदेश
न्यायाधीश कोहली ने पतंजलि को आदेश दिया कि वह अखबारों में प्रकाशित अपने माफीनामे की कतरन इकट्ठा करके कोर्ट में पेश करे।
उन्होंने कहा, "उन्हें बड़ा करके फोटोकॉपी न करें। हम इससे खुश नहीं होंगे। हम (माफीनामे का) असल आकार देखना चाहते हैं। हम देखता चाहते हैं कि इसे माइक्रोस्कोप से न देखना पड़े। यह केवल अखबार में छापना नहीं है, बल्कि यह पढ़ने योग्य भी होना चाहिए।"
कोर्ट ने इसके लिए 2 दिन का समय दिया है।
सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथिक डॉक्टरों पर भी उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) से भी सवाल किए और कहा कि उसके एलोपैथिक डॉक्टर भी अपने पद का दुरुपयोग करके महंगी और बाहरी दवाओं की सिफारिश करते हैं।
कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक कंपनी का सवाल नहीं है, बल्कि कई कंपनियां भ्रामक विज्ञापक प्रकाशित कर जनता को धोखा दे रही हैं। उसने कहा कि इससे शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है और केंद्र सरकार बताए कि ऐसा क्यों हो रहा है।
खारिज
2 बार माफीनामे खारिज कर चुका है कोर्ट
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मामले में 2 बार बाबा रामदेव और पतंजलि के माफीनामे खारिज कर चुका है।
कोर्ट ने कहा था कि ये माफी महज दिखावटी है और उन्होंने कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की।
कोर्ट ने माफीनामे के साथ दस्तावेज संलग्न न करने पर भी सवाल उठाए थे और जालसाजी का केस चलाने की चेतावनी दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ने मामले में आंखें मूंद रखी थीं।