दिल्ली में विस्फोट का सुप्रीम कोर्ट पर दिखा असर, UAPA के आरोपी को नहीं दी जमानत
क्या है खबर?
दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम को एक कार में हुए भीषण विस्फोट का असर दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में भी दिखा। कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत एक मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने जमानत नामंजूर करते हुए कहा कि यह एक कड़ा संदेश देने के लिए अच्छी सुबह है।
सुनवाई
भड़काऊ सामग्री के साथ पकड़ा गया था आरोपी
कथित तौर पर भड़काऊ सामग्री के साथ पकड़े गए आरोपी ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसके ऊपर UAPA के तहत मुकदमा दर्ज है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान, आरोपी के वकील सिद्धार्थ दवे ने कोर्ट के सामने स्वीकार किया कि दिल्ली की घटनाओं के बाद इस मामले में बहस करने के लिए शायद यह सबसे अच्छी सुबह नहीं है। तब पीठ ने कहा कि "संदेश भेजने के लिए सबसे अच्छी सुबह है।"
मामला
कोर्ट ने नहीं सुनी वकील की दलील
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के पास से भड़काऊ सामग्री मिली है, तो वकील ने बताया कि वह केवल इस्लामी साहित्य था। इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने कहा कि आरोपियों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जिस पर ISIS जैसा ही झंडा देखा गया था और उस पर गंभीर आरोप हैं। वकील ने कहा कि आरोपी 2 साल से जेल में है, उसके पास से कोई विस्फोटक नहीं मिला है, वह 70 प्रतिशत विकलांग है। हालांकि, कोर्ट ने जमानत नहीं दी।
जमानत
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और विशेष कोर्ट रद्द कर चुका है जमानत
आरोपी प्रतिबंधित ISIS विचारधारा को बढ़ावा देने और आतंकी गतिविधियों की साजिश का आरोपी है। उसके खिलाफ UAPA की धारा 13, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत मामला दर्ज है। आरोपी को 6 जनवरी, 2025 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने जमानत नहीं दी थी, जिसके बाद उसने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन वह भी खारिज हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2 साल में मुकदमा पूरा करने को कहा है।