उच्च अधिकारियों की गिरफ्तारी से पहले नहीं लेनी होगी मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट का पुराना आदेश बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च अधिकारियों की गिरफ्तारी से पहले केंद्र की मंजूरी अनिवार्य करने वाले दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम, 1946 के एक प्रावधान को रद्द करने का अपना पुराना आदेश बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि कानून के उस प्रावधान को रद्द करने का उसका 2014 का आदेश पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू रहेगा, जिसके तहत संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद के अधिकारियों को गिरफ्तारी से छूट मिलती है।
कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व में सोमवार को 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले में फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी से छूट देने वाले प्रावधान को रद्द करने पर संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत पूर्वव्यापी प्रभाव पड़ेगा। पीठ ने कहा, "सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में मई, 2014 में संवैधानिक पीठ का फैसला पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगा। कानून की धारा 6(A) को इसके शामिल किए जाने की तारीख 11 सितंबर, 2003 से लागू नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में क्या दिया था आदेश?
मई, 2014 को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम की धारा 6 A(1) को अमान्य करार दे दिया था। इस धारा में प्रावधान था कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के स्तर के कर्मचारियों से संबंधित किसी भी अपराध की जांच करने के लिए केंद्र की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इस धारा को 2003 से लागू किया गया था, लेकिन संविधान का अनुच्छेद 20 में ऐसा करने पर मनाही है।