
शुभांशु शुक्ला अपने शहर लखनऊ पहुंचे, एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत
क्या है खबर?
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज (25 अगस्त) लंबे समय बाद अपने शहर लखनऊ पहुंचे हैं। वह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) के ऐतिहासिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद लौटे। लखनऊ एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के लिए परिवार, छात्र और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। पूरे माहौल में देशभक्ति के नारे गूंज उठे और लोगों ने तिरंगा लहराकर उनका जोरदार अभिनंदन किया।
स्वागत
उपमुख्यमंत्री ने किया स्वागत
शुक्ला के स्वागत के मौके पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी मौजूद रहे। इस मौके पर पाठक ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। हमें अपने बेटे का यहां स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। शुभांशु शुक्ला ने पूरी दुनिया को एक नई राह दिखाई है और इस अवसर पर, राज्य सरकार ने उनके सम्मान में पूरे राज्य में कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।"
खुशी
छात्रों और परिवार की खुशी
शुक्ला के कॉलेज के छात्र भी एयरपोर्ट पहुंचे और तिरंगा लहराकर उनका जोरदार स्वागत किया। छात्रों ने कहा कि वे भी शुक्ला की तरह देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। उनके परिवार ने खुशी और गर्व जताते हुए कहा कि शुभांशु ने न सिर्फ भारत का मान बढ़ाया है बल्कि युवाओं को नई प्रेरणा और दिशा दी है। इस दौरान पूरा लखनऊ एयरपोर्ट 'भारत माता की जय' के जोशीले नारों से गूंज उठा।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें पोस्ट
आज अपनी जन्मभूमि लखनऊ आगमन पर वायु सेवा के जांबाज़ ग्रुप कैप्टन, अंतरिक्ष यात्री एवं हमारे देश की शान श्री शुभांशु शुक्ला जी का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करते हुए।
— Brajesh Pathak (@brajeshpathakup) August 25, 2025
उत्तर प्रदेश के लिए आज अतिविशेष और महत्वपूर्ण दिन है। एक्सिओम मिशन 4 के मिशन पायलट के रूप में इंटरनेशनल स्पेस सेंटर… pic.twitter.com/SvCdvTthpO
मिशन
ऐतिहासिक मिशन और भारत की तैयारी
शुक्ला जून में ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। वह 18 दिनों के मिशन के बाद 15 जुलाई को लौटे और हाल ही में 17 अगस्त को भारत वापस आए। उनके नेतृत्व में हुए एक्सिओम-4 मिशन की देशभर में सराहना की गई। इस मिशन ने भारत को भविष्य की मानव अंतरिक्ष उड़ान योजना 'गगनयान' के लिए और मजबूत बनाया है। शुक्ला का यह योगदान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक और प्रेरणादायक माना जा रहा है।