संसद की सुरक्षा में चूक: आरोपी ने NGO चलाने वाले दोस्त को भेजी थी वीडियो, जानें
शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले 4 आरोपियों के अलावा पांचवें आरोपी ललित झा के बारे में कई जानकारी सामने आई है। इंडिया टुडे के मुताबिक, ललित घटना के समय संसद परिसर में ही मौजूद था। उसने सदन के बाहर प्रदर्शन कर रहे नीलम और अनमोल की वीडियो बनाकर दोपहर 1 से 2 बजे के बीच पश्चिम बंगाल स्थित अपने दोस्त नीलाक्ष आइच को भेजी थी। ललित झा फिलहाल फरार है।
नीलाक्ष आइच ने साझा की जानकारी
रिपोर्ट के मुताबिक, ललित के दोस्त नीलाक्ष गैर-सरकारी संगठन (NGO) साम्यवादी सुभाष के संस्थापक और छात्र हैं। नीलाक्ष ने ललित को NGO का महासचिव बनाया था क्योंकि उसने पुरुलिया और झाड़ग्राम में जमीनी स्तर पर काम करने का दावा किया था। उन्होंने बताया कि ललित ने उनको फोन नहीं किया, लेकिन सदन के बाहर धुआं उड़ाते छात्रों की वीडियो भेजी थी। नीलाक्ष उस समय वह कॉलेज में थे, लेकिन वीडियो देखते ही उन्होंने व्हाट्सऐप पर विरोध का कारण पूछा था।
नीलाक्ष और ललित की एक कार्यक्रम में हुई थी मुलाकात
रिपोर्ट के मुताबिक, नीलाक्ष और ललित की मुलाकात सेंट्रल एवेन्यू कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। कार्यक्रम में नीलाक्ष अतिथि थे। नीलाक्ष ने बताया कि ललित ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में परिचय दिया था। हालांकि, उसने अपनी उम्र और ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। उसने बताया था कि वह कोलकाता में रहता है। नीलाक्ष ने बताया कि ललित से उसकी अंतिम बार मुलाकात इस साल जुलाई में एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी।
क्या हुआ था संसद में?
बुधवार को शून्य काल के दौरान 2 युवक अचानक से दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए थे और बेंचों पर कूदते हुए गैस कनस्तर से पीले रंग की गैस उड़ा दी। सांसदों ने मिलकर दोनों को पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया। संसद के बाहर भी एक महिला और युवक पीले रंग का धुआं उड़ाते गिरफ्तार किए गए। एक अन्य आरोपी विशाल शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया है, वहीं ललित अभी फरार है।
कैसे रची गई साजिश?
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वह सभी करीब डेढ़ साल पहले मैसूर में मिले थे और योजना पर चर्चा की। फिर सभी 9 महीने पहले चंडीगढ़ हवाई अड्डे के पास किसान आंदोलन में मिले। इसके बाद उन्होंने मार्च और जुलाई में नए संसद भवन में घुसकर उसकी रेकी की। इस दौरान उन्होंने पाया कि जूतों की अच्छे से जांच नहीं होती है। वे गैस कनस्तर जूतों में ही छिपाकर लाए थे। सभी आरोपियों पर UAPA लगाया गया है।