पहलवानों के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन, दिल्ली में बढ़ाई गई सुरक्षा
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों के समर्थन में रविवार को देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसके चलते दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर और उसके आसपास के इलाके में सुरक्षा को बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि पहलवान पिछले काफी दिनों से भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं।
जंतर-मंतर पर होगी खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों की बैठक
SKM ने शनिवार को बयान जारी कर बताया था कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों के कई नेता जंतर-मंतर पर धरनास्थल का दौरा करेंगे और प्रदर्शनकारी पहलवानों को समर्थन देंगे। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि जंतर-मंतर पर खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों की बैठक भी आयोजित की जाएगी, जिसमें आगे के प्रदर्शन को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।
पहलवानों से मिलने के लिए पहुंचे टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने समर्थकों के साथ जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों से मिलने पहुंचे। बतौर रिपोर्ट्स, किसानों ने मोदी सरकार और बृजभूषण सिंह के पुतले जलाने का भी ऐलान किया है। वहीं पालम खाप पंचायत के अध्यक्ष चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा, "इन बच्चों (प्रदर्शनकारी पहलवानों) को न्याय मिलने तक विरोध जारी रहेगा। हम इसे कैसे आगे बढ़ाएंगे यह आज हम सब मिलकर तय करेंगे।"
जंतर मंतर के पास भारी पुलिस बल मौजूद
टिकरी बॉर्डर पर किसानों को रोक रही दिल्ली पुलिस- DU जाट छात्र संगठन
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के जाट छात्र संगठन ने दिल्ली पुलिस पर किसानों को दिल्ली और हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर रोकने का आरोप लगाया है। संगठन ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'पंजाब और हरियाणा से आए किसानों के जत्थे को दिल्ली पुलिस ने टिकरी बॉर्डर पर रोका। दिल्ली पुलिस पहलवानों को समर्थन देने जंतर-मंतर जा रहे किसान और खाप प्रतिनिधियों को बॉर्डर पर ही रोक रही है।'
पहलवानों ने किया खाप पंचायतों को आमंत्रित- बृजभूषण शरण सिंह
WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने पहलवानों पर धरने में खाप पंचायतों को बुलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "हरियाणा में कोई विरोध नहीं है। यह सिर्फ एक अखाड़ा और एक परिवार है। पहले 7-9 ओलंपियन विरोध में बैठे थे और अब उनमें से केवल तीन बचे हैं। पहलवान उनका समर्थन करने के लिए नहीं आ रहे हैं तो उन्होंने खाप पंचायत को आमंत्रित किया है। वे अपने समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।"
कब हुई थी पहलवानों के मामले की शुरुआत?
यह पूरा मामला इस साल जनवरी में सामने आया था। तब देश के शीर्ष पहलवान बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे। महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि लखनऊ में शिविर के दौरान कई खिलाड़ियों का शोषण हुआ था। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) द्वारा आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन करने के बाद पहलवानों ने धरना खत्म किया था।
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने किया था आंदोलन
केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए थे, जिनके खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन पूरे देश में फैल गया था। किसानों ने करीब 14 महीने तक लगातार इन कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान कई किसानों की मौत भी हुई और कई बार आंदोलन हिंसक भी हुआ था। अंत में किसानों के विरोध के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा था और ये तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए थे।