टोक्यो में अमेरिकी समकक्ष से मिले विदेश मंत्री जयशंकर, महात्मा गांधी की प्रतिमा का किया अनावरण
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (QUAD) सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो गए हैं। यहां उन्होंने विदेश मंत्रियों की साझा बैठक से इतर अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई। बता दें कि 29 जुलाई को टोक्यो में QUAD देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली है।
ब्लिंकन से किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
जयशंकर ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ब्लिंकन के साथ बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, 'आज टोक्यो में ब्लिंकन से मिलकर बहुत अच्छा लगा। हमारा द्विपक्षीय एजेंडा लगातार आगे बढ़ रहा है। क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा हुई। कल QUAD विदेश मंत्री समिट में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं।' कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में अमेरिका ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की इच्छा जाहिर की है।
यह गांधी के संदेश को याद करने का समय- जयशंकर
जयशंकर ने टोक्यो के एडोगावा स्थित फ्रीडम प्लाजा में महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में संघर्ष बढ़ रहे हैं, काफी तनाव है और ध्रुवीकरण हो रहा है, खून-खराबा हो रहा है। ऐसे में ये बेहद अहम है कि हमें महात्मा गांधी के उस संदेश को याद करना चाहिए कि युद्ध के मैदान से शांति नहीं आ सकती और ये युग भी युद्ध का नहीं है।"
जयशंकर ने महात्मा गांधी को लेकर कही ये बात
जयशंकर ने कहा, "गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं, लेकिन दुनिया के लिए एक वैश्विक प्रतीक हैं। महात्मा गांधी की उपलब्धियां उनके समय से ही प्रासंगिक बनी हुई हैं, समय बदलने के साथ-साथ उनका महत्व और भी बढ़ता जा रहा है। गांधी ने अपने जीवन और अपने कार्यों के माध्यम से जो संदेश दिया है वह कालातीत है। उन्होंने हमें जो सिखाया, वह तब भी महत्वपूर्ण था और आज भी महत्वपूर्ण है।"
क्या है QUAD?
QUAD भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का एक संगठन है। चारों देशों ने नवंबर, 2017 में मिलकर QUAD की स्थापना की थी, जिसका मौजूदा मकसद हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, शांति और स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। इसे चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने और उसकी दादागीरी को चुनौती देने के प्रयास के तौर पर भी देखा जाता है। 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसे औपचारिक रूप दिया था।