प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के निर्माण कार्य में लगे श्रणवीरों का सम्मान किया। उन्होंने मजदूरों पर फूल बरसाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कुबेर टीला पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की। राम मंदिर निर्माण के साथ ही इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया गया है।
प्रधानमंत्री का संबोधन खत्म हो गया है। वे अब कुबेर टीला की ओर जा रहे हैं, जहां वे शंकर मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इस दौरान उन्होंने परिसर में मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों का अभिवादन स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरे साथियों, आने वाला समय सफलता का है। आने वाला समय सिद्धि का है। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष, उदय और अभ्युदय का साक्षी बनेगा। ये सिखाता है कि अगर लक्ष्य सत्य प्रमाणित हो तो उसे प्राप्त करना असंभव नहीं है। ये भारत का समय और अब भारत आगे बढ़ने वाला है। अब हम रुकेंगे नहीं। हम विकास की ऊंचाई पर जाकर ही रहेंगे। आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "जटायू को पता था कि वे रावण को परास्त नहीं कर पाएंगे, लेकिन फिर भी उन्होंने चुनौती दी। आइए हम संकल्प लें कि राष्ट्र निर्माण के लिए हम अपने जीवन का पल-पल लगा देंगे। रामकाज से राष्ट्र काज, समय का पल-पल, शरीर का कण-कण राष्ट्र समर्पण से जोड़ देंगे। प्रभु राम की पूजा स्व से उठकर समस्त के लिए होना चाहिए। हमें नित्य पराक्रम, पुरुषार्थ और समर्पण का प्रसाद राम को चढ़ाना होगा। तब हम भारत को वैभवशाली और विकसित बना पाएंगे। आज भारत युवा शक्ति से भरा हुआ है। ऐसी परिस्थितियां न जाने कब बनेगी। हमें अब चूकना नहीं है। मैं युवाओं से कहूंगा आपके सामने हजारों वर्षों की परंपरा की प्रेरणा है।"
प्रधानमंत्री बोले, "हर भारतीय में भक्ति, सेवा और समर्पण के भाव समर्थ, सक्षम और भव्य भारत का आधार बनेंगे। यही तो देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है। मां शबरी तो कबसे कहती थी- राम आएंगे। हर भारतीय में जन्मा यही विश्वास भव्य भारत का आधार बनेगा। साथियों आज देश में निराशा के लिए रत्तीभर में जगह नहीं है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज अयोध्या हमसे कुछ सवाल कर रही है। मंदिर तो बन गया, अब आगे क्या? आज के इस अवसर पर जो दैवीय आत्माएं, हमें देख रही हैं, उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे। आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि कालचक्र बदल रहा है। ये सुखद है कि हमारी पीढ़ी को एक कालजयी पथ के शिल्पकार के रूप में चुना गया है। इसलिए मैं कहता हूं यही समय है सही समय है। हमें आज से अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है। राम के विचार मानस के साथ ही जनमानस में भी हो यही राष्ट्रनिर्माण की सीढ़ी है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या में केवल राम की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है, ये राम के रूप में साक्षात अटूट विश्वास की प्राण प्रतिष्ठा है। उन्होंने कहा, "ये मानवीय मूल्यों और आदर्शों की प्राण प्रतिष्ठा है। इनकी जरूरत आज संपूर्ण विश्व को है। ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं, ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का मंदिर है। ये राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था है, आधार है, विचार है, विधान है, चेतना है, चिंतन है, प्रतिष्ठा है, प्रताप है, प्रवाह है, नित्यता है, निरंतरता है, व्यापक है, विश्व है, विश्वात्मा है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "राम मंदिर का निर्माण सद्भावना, आपसी सद्भाव और समन्वय का प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि निर्माण आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। ये समाज के हर वर्ग को उज्जवल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा लेकर आया है। राम आग नहीं है, राम ऊर्जा है। राम विवाद नहीं, समाधान है। राम हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंतकाल है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "राम के काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की पराकाष्ठा दिखाई है। उन अनगिनत लोगों के हम ऋणी है। आज का ये अवसर भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का भी क्षण है। हमारे लिए ये अवसर विजय का नहीं, विनय का भी है। इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में उलझ जाते हैं, लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है वो बताती है कि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरा सौभाग्य है कि मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला। सागर से सरयू तक हर जगह वही उत्सव छाया है। राम भारत के अंतर्मन में है। हम भारत में कहीं भी किसी की अंतरात्मा को छुएंगे तो एकत्व की अनुभूति होगी। मुझे देश के कोने-कोने में अलग भाषाओं में रामायण सुनने का अवसर मिला। हर युग में लोगों ने राम का जिया है, अभिव्यक्त किया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारे कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के संविधान में उसकी पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक कानूनी लड़ाई चली। मैं न्यायपालिका का आभार करता हूं, जिसने न्याय की लाज रखली। पूरा देश आज दीपावली मना रहा है। आज शाम घर-घर ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैं प्रभु राम से क्षमा याचना करता हूं। हमारे त्याग में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज से हजार साल बाद लोग आज की तारीख की चर्चा करेंगे। ये कितनी बड़ी कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं, इसे घटित होते देख रहे हैं। आज दिन, दिशाएं सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं। ये समय सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर अमिट स्मृति रेखा है। हम सब जानते हैं कि जहां राम का काम होता है, वहां पवन पुत्र हनुमान विराजमान होते हैं। इसलिए मैं राम भक्त हनुमान और हनुमानगढ़ी को भी प्रणाम करता हूं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मेरा पक्का विश्वास है, अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है इसकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में राम भक्तों को हो रही होगी। ये क्षण अलौकिक है। ये पल पवित्र हैं। ये वातावरण, ये ऊर्जा प्रभु श्रीराम का हमपर आशीर्वाद है। 22 जनवरी का सूरज एक अद्भूत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं, ये नए कालचक्र का उद्गम है। भूमिपूजन के बाद से हर दिन देश में उमंग और उत्साह बढ़ता जा रहा था। निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों के धैर्य की धरोहर मिली है। आज हमें राम का मंदिर मिला है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज हमारे राम आ गए हैं। सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को देशवासियों को बधाई। मैं अभी गर्भ गृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने आया हूं। कितना कुछ कहने को है, लेकिन कंठ अवरूद्ध है।"
भागवत ने कहा, "हम साथ चलेंगे, बोलेंगे और सहमति का संवाद निकालेंगे। वो वाणी, मन, वचन और कर्म समंवित होगी। ये तपस हम सबको करना है। 500 साल तक अनेक लोगों ने बलिदान कर ये आनंद का पल उपलब्ध कराया है। हमको इसे आगे लेकर जाना है। रामलला हमें प्रेरणा देने के साथ इस कर्तव्य की याद दिलाने आए हैं। अभी से इस व्रत का पालन हम करेंगे तो विश्वगुरु भारत का निर्माण भी पूरा हो जाएगा।"
भागवत ने कहा, "अब हमको भी तप करना है। राम राज्य आने वाला है। राम राज्य के नागरिकों को जो वर्णन है, हम भी उनकी संतानें हैं। हमें इस तरह के व्यव्हार को रखने का तप आचरण करना पड़ेगा। सारे कलह को विदाई देनी पड़ेगी। छोटे विवाद को लेकर लड़ाई करने की आदत छोड़नी होगी। हमे साथ में चलना होगा। इसलिए आपस में समन्वय रखकर व्यव्हार करना ये धर्म का पहला आचरण है।"
मोहन भागवत ने कहा, "आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्व लौटकर आ रहा है। उत्साह और आनंद का वर्णन कोई नहीं कर सकता। सब भाव विभोर हैं, आनंद में हैं, उत्साह में हैं। प्रधानमंत्री को जितना बोला गया, उससे कठोर व्रत किया। वो तपस्वी हैं।"
योगी ने कहा, "नई अयोध्या में पुरातन संस्कृति और संभ्यता का संरक्षण हो रहा है। इस नगरी को अब सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। अयोध्या एक नगर या तीर्थ का विकास नहीं है, ये विश्वास और लोकआस्था की जीत है। प्राण प्रतिष्ठा का समारोह भारत की सांस्कृतिक आत्मा को समरस की अनुभूति प्रदान कर रहा है। ये राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है। यहां अब गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं, बल्कि राम बोल सुनाई देंगे।"