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पंजाब विश्वविद्यालय में क्यों हो रहा प्रदर्शन, जिसका किसान संगठन ने समर्थन किया?
पंजाब विश्वविद्यालय में छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए सख्ती (तस्वीर: एक्स/@Mahiwal47)

पंजाब विश्वविद्यालय में क्यों हो रहा प्रदर्शन, जिसका किसान संगठन ने समर्थन किया?

लेखन गजेंद्र
Nov 10, 2025
12:28 pm

क्या है खबर?

पंजाब विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जारी है। सोमवार को पंजाब के छात्रों ने 'विश्वविद्यालय बचाओ मोर्चा' द्वारा बंद का आह्वान किया है। छात्रों के प्रदर्शन को किसान संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। प्रस्तावित बंद को देखते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने 2,000 से अधिक जवान तैनात किए हैं। विश्वविद्यालय में बाहरियों का प्रवेश वर्जित है और 10-11 नवंबर को छुट्टी की गई है। आखिर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन का कारण क्या है? आइए जानते हैं।

प्रदर्शन

प्रदर्शन क्यों हो रहा है?

केंद्र सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में बदलाव किया है, जिसकी 28 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के बाद से छात्र नाराज हैं। केंद्र चाहती है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय के शासी निकायों में सुधार हो, जिसे पंजाब सरकार और छात्र पंजाब के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। हालांकि, शिक्षा मंत्रालय ने 7 नवंबर को फैसला वापस ले लिया, लेकिन छात्र अब सीनेट चुनाव घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

अधिकार

सीनेट और सिंडिकेट क्या है?

पंजाब विश्वविद्यालय में दोनों शासी निकाय है, जिनको विश्वविद्यालय की नीतियां, बजट, नियुक्तियां, शैक्षणिक फैसले लेने का अधिकार है। इनकी संरचना पंजाब विश्वविद्यालय एक्ट, 1947 में है। सर्वोच्च निकाय सीनेट में 91 निर्वाचित और कुछ नामांकित मिलाकर 100 से अधिक सदस्य हैं, जिसमें पूर्व छात्र, प्रोफेसर, छात्र प्रतिनिधि, केंद्र-राज्य सरकार, कुलपति आदि शामिल हैं। सिंडिकेट कार्यकारी समिति है, जिसमें 15-20 सदस्य हैं, जो सीनेट से चुने गए और नामांकित होते हैं। सीनेट फैसले लेती है और सिंडिकेट लागू करती है।

विवाद

विवाद क्या है?

केंद्र सरकार ने नई अधिसूचना जारी करके स्नातक निर्वाचन क्षेत्र को समाप्त कर दिया है और सीनेट की सदस्य संख्या 91 से घटाकर 24 कर दी है। सरकार ने प्रावधान किया है कि सीनेट में अब निर्वाजित की जगह नामित सदस्य होंगे। इसके अलावा सिंडिकेट का चुनाव पूरी तरह खत्म करके नामांकित सदस्य बढ़ाने का प्रस्ताव है। हालांकि, केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना विरोध के बाद वापस ले ली है, लेकिन छात्रों का गुस्सा सातवें आसमान पर है।

विरोध

छात्रों का क्या कहना है?

छात्रों का कहना है कि केंद्र सरकार पंजाब विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक व्यवस्था को नष्ट करना चाहती है और उसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एजेंडे के साथ केंद्र के नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रही है। इससे पहले विश्वविद्यालय प्रवेश के समय छात्रों से 11 शर्तों वाला हलफनामा ले रहा था, जिसमें प्रदर्शन, नारेबाजी, पोस्टर लगाना आदि पर रोक थी। सीनेट और सिंडिकेट मुद्दे से पहले छात्र इसको लेकर नाराज थे। हालांकि, ये आदेश भी वापस ले लिया गया है।

अलर्ट

चंडीगढ़ पुलिस अलर्ट पर

केंद्र सरकार के इन्हीं फैसलों के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन को किसान यूनियन, अभिभावक, राजनीतिक पार्टियों का भी समर्थन मिल रहा है। सोमवार को छात्रों ने बंद का आह्वान किया है, जिसमें बाहरी लोगों के भी आने की आशंका है, जिसे देखते हुए विश्वविद्यालय में पुलिस अलर्ट है और 12 जगह नाकेबंदी की गई है। छात्रों की जल्द से जल्द सीनेट चुनाव की मांग पर कुलपति ने आश्वासन दिया है। हालांकि, छात्र तारीख घोषित करने की मांग कर रहे हैं।