प्रधानमंत्री मोदी का दावा- लौटाए जा रहे बैंकों में जमा बिना दावे वाले 78,000 करोड़ रुपये
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि उनकी सरकार देश के बैंकों के पास जमा बिना दावे वाले करीब 78,000 करोड़ रुपयों को उनके सही हकदारों के पास पहुंचाने का काम कर रही है। उन्होंने यह खुलासा HT समिट में बोलते हुए किया। इस दौरान उन्होंने हिंदू धर्म को भारत की विकास दर से जोड़ने की भी तीखे शब्दों में आलोचना की। आइए जानते हैं प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कुछ कहा।
बयान
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या दिया बयान?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "देश में हमेशा से यह माना गया है कि सरकार को कुछ दे दिया, तो वह वन वे ट्रैफिक है और फिर वापस नहीं आता। जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है, उसका उदाहरण दावा रहित पैसों को असली हकदारों तक पहुंचाने के लिए चलाया जा रहा अभियान है।" उन्होंने कहा, "देश के बैंकों में नागरिकों का लगभग 78,000 करोड़ रुपया बिना किसी दावे के ही पड़ा है।"
दावा
हकदारों को ढूंढकर लौटाया जा रहा है उनका पैसा- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इंश्योरेंस कंपनियों के पास 14,000 करोड़, म्युचुअल फंड में 3,000 करोड़ और डिविडेंट का 9,000 करोड़ रुपये रुपये बिना दावे के पड़े हैं। यह पैसा गरीब और मध्यम परिवारों का हैं, जिसको वो तो भूल चुके हैं, लेकिन हमारी सरकार देशभर में अब उनको ढूंढ रही है वह पैसा उन्हें वापस लौटाने में जुटी हुई है।" उन्होंने कहा, "अब तक 500 जिलों में विशेष शिविर लगाकर हजारों करोड़ रुपये असली हकदारों को दिए जा चुके हैं।"
प्रयास
किया जा रहा हिंदू जीवन शैली को बदनाम करने का प्रयास- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कुछ दशक पहले भारत की धीमी वृद्धि को हिंदू विकास दर बताकर हिंदू जीवन शैली को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। जब विश्व विखंडित होता है, तो भारत सेतु निर्माता के रूप में खड़ा होता है।" उन्होंने कहा, "हम ऐसे मोड़ पर हैं जहां 21वीं सदी का एक हिस्सा बीत चुका है और दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है, लेकिन हमारा भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है।"
खुलासा
हसीना का भारत में प्रवास परिस्थितियों पर निर्भर- जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत प्रवास उन निश्चित परिस्थितियों पर निर्भर करेगा जिनके तहत वह आई थीं। उनकी भारत में निरंतर उपस्थिति इन परिस्थितियों से ही प्रभावित है।" उन्होंने बांग्लादेश में एक विश्वसनीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति भारत की प्राथमिकता पर कहा, "भारत अपने पड़ोसी के लिए स्थिरता और लोकतांत्रिक वैधता चाहता है। उन्हें विश्वास है कि भविष्य में संबंधों में सुधार होगा।"