प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग की बड़ी बैठक, कृषि से जुड़े मुद्दों पर रहा जोर
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की सातवीं बैठक हुई। ये बैठक दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में हुई और प्रधानमंत्री के अलावा इसमें विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
कोरोना वायरस महामारी के आगमन के बाद ये गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक थी जिसमें सभी नेता और अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर शामिल हुए।
ऐसी आखिरी बैठक जुलाई, 2019 में हुई थी और इसके बाद केवल वर्चुअल बैठकें हुईं।
चर्चा
बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा
बैठक में कृषि, शिक्षा और अर्थव्यवस्था आदि से संबंधित कई गंभीर विषयों पर चर्चा हुई। फसलों में विविधता लाना, तिलहन और दलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, प्राथमिक और उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू करना और शहरी शासन आदि मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहे।
नीति आयोग के CEO परमेश्वरन अय्यर के अनुसार, बैठक में निर्यात की अहमियत और NEP पर प्रजेंटेशन भी दी गईं। NEP पर केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति देखने को मिली।
खेती
बैठक में प्रधानमंत्री ने खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनने पर दिया जोर
बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने खेती में विविधता लाने पर जोर दिया और कहा कि देश को खाद्य तेलों में खासतौर पर आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है क्योंकि अभी मांग का लगभग आधा खाद्य तेल बाहर से आयात किया जा रहा है।
चंद ने कहा कि पिछले पांच-छह सालों में दालों का उत्पादन बढ़ा है और केवल मसूर और अरहर की कमी है।
मांग
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने की छोटे शहरों में मनरेगा लागू करने की मांग
बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मांग की कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को शहरों के पास स्थित गांवों और 20,000 से कम आबादी वाले शहरों में भी लागू किया जाए। उन्होंने बैठक में राज्यों को GST के भुगतान का मुद्दा भी उठाया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहली बार नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल हुए और उन्होंने पंजाब के विकास से संबंधित मुद्दे आगे रखे।
अनुपस्थिति
भेदभाव के विरोध में बैठक में शामिल नहीं हुए मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने शनिवार को ही इसका ऐलान कर दिया था और कहा था कि इन बैठकों में कुछ नहीं होता और मुख्यमंत्रियों को बोलने के लिए मुश्किल से कुछ मिनट दी जाती हैं।
प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए उन्होंने कहा था कि उनका फैसला तेलंगाना के खिलाफ केंद्र के भेदभाव के खिलाफ प्रदर्शन है।
नीति आयोग ने बयान जारी कर उनके दावे को खारिज किया था।
संबंधों में खटास?
नीतीश कुमार भी नहीं हुए बैठक में शामिल
भाजपा के सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बड़ी बैठक में शामिल नहीं हुए। रिपोर्ट्स के अनुसार, कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने के बाद नीतीश एहतियात के तौर पर यात्रा करने से बच रहे हैं।
हालांकि भाजपा के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों के कारण इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। 17 जुलाई के बाद ये केंद्र सरकार की चौथी ऐसी बैठक है जिसमें नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए हैं।