जम्मू: अब एक साल से रह रहे लोग भी करा सकेंगे वोटर के तौर पर रजिस्ट्रेशन
क्या है खबर?
जम्मू की डिप्टी कमिश्नर अवनी लवासा ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिसके बाद एक साल से अधिक समय से जिले में रह रहे लोग भी वोटर के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे।
अपने आदेश में उन्होंने तहसीलदारों को फील्ड वेरिफिकेशन के बाद एक साल से जम्मू में रह रहे लोगों को निवास प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया है।
इस निवास प्रमाण पत्र की मदद से लोग वोटर के तौर पर रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे।
आदेश
डिप्टी कमिश्नर ने क्या आदेश जारी किया है?
डिप्टी कमिश्नर लवासा ने अपने आदेश में कहा है कि नए वोटरों के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, बैंक/पोस्ट ऑफिस की पासबुक, किसान बही खाता, रेंट एग्रीमेंट, घर खरीद के कागज और पानी/बिजली/गैस के कनेक्शन को निवास के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है।
ऐसे निवासी जिनके पास इनमें से कुछ भी नहीं है और एक साल से जम्मू में रह रहे हैं, उन्हें निवास प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार तहसीलदारों को दिया गया है।
बयान
सभी पात्र वोटरों को रजिस्ट्रेशन सूचित करने के लिए जारी किया गया आदेश
डिप्टी कमिश्नर लवासा ने कहा कि जम्मू में वोटरों का रिवीजन किया जा रहा है और इसमें कोई भी पात्र वोटर रजिस्ट्रेशन से वंचित न रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए ये आदेश जारी किया गया है।
प्रतिक्रिया
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा- चुनाव से डरी हुई है भाजपा
जम्मू प्रशासन के इस आदेश पर राजनीति भी शुरू हो गई है और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने इसका विरोध किया है।
पार्टी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'सरकार जम्मू-कश्मीर में 25 लाख गैर-स्थानीय वोटरों को जोड़ने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ रही है और हम इस कदम का विरोध कर रहे हैं। भाजपा चुनाव से डरी हुई है और उसे पता है कि वह बुरी तरह हारेगी। जम्मू-कश्मीर के लोगों को इन साजिशों को हराना होगा।'
अन्य आदेश
अगस्त में गैर-कश्मीरियों को दिया गया था वोटिंग का अधिकार
गौरतलब है कि सरकार ने अगस्त में भी जम्मू-कश्मीर में वोटरों से संबधित नियमों में बड़ा बदलाव किया था। तब मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) हृदेश कुमार के एक आदेश के जरिए राज्य में रह रहे छात्रों, कर्मचारियों और मजदूरों जैसे गैर-स्थानीय लोगों को भी चुनाव में वोट डालने का अधिकार दिया गया था।
इसके अलावा यहां तैनात सुरक्षाबलों को भी यह अधिकार दिया गया था।
ये पहली बार है जब गैर-कश्मीरियों को वोटिंग अधिकार दिया गया है।
असर
गैर-कश्मीरियों को वोटिंग अधिकार के बाद जुड़ेंगे 25-27 लाख नए वोटर
इस बदलाव के कारण जम्मू-कश्मीर की वोटर लिस्ट में 25-27 लाख नए वोटर जुड़ने की संभावना है, जिससे यहां वोटरों की कुल संख्या एक करोड़ पहुंच जाएगी।
स्थानीय पार्टियों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि चुनाव जीतने के लिए भाजपा अस्थायी वोटरों का आयात कर रही है।
भाजपा जम्मू की अधिकांश सीटें जीतती है और इस कदम की मदद से वो अगर कश्मीर में भी कुछ सीटें जीतने में कामयाब रहती है तो सरकार बना लेगी।
विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में जल्द होने हैं विधानसभा चुनाव
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत या अगले साल की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद ये इलाके में पहले विधानसभा चुनाव होंगे।
राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद परिसीमन करके विधानसभा में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। जम्मू और कश्मीर में सीटों की संख्या भी बदलकर क्रमशः 43 और 47 कर दी गई है।