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आने-जाने का एक ही रास्ता, त्योहारी भीड़ और बदइंतजामी; वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में कैसे मची भगदड़?
आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ से 10 लोगों की मौत हो गई है

आने-जाने का एक ही रास्ता, त्योहारी भीड़ और बदइंतजामी; वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में कैसे मची भगदड़?

लेखन आबिद खान
Nov 01, 2025
05:28 pm

क्या है खबर?

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के काशीबुग्गा स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में आज भगदड़ मच गई है। इसमें कुछ बच्चों और महिलाओं समेत कुल 10 लोगों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हुए हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि त्योहारी भीड़, सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में गंभीर खामियां थीं, जिसके चलते लोगों को जान गंवानी पड़ी है। आइए जानते हैं मंदिर में कैसे भगदड़ मची।

रास्ता

लोगों के आने और जाने के लिए एक ही रास्ता

मंदिर में भगदड़ की बड़ी वजह आने और जाने के लिए एक ही रास्ते का होना बताया जा रहा है। इस वजह से मंदिर जाने और वहां से निकलने वाले श्रद्धालु फंस गए और भीड़ बढ़ती गई। गिरे हुए लोगों को बचाने में जुटे लोग भी खुद भीड़ में फंस गए। अगर श्रद्धालुओं के आने और जाने के रास्ते अलग-अलग होते, तो भीड़ प्रबंधन बेहतर होता और शायद इस दुखद घटना को होने से रोका जा सकता था।

भीड़

एकादशी के चलते उमड़ी भीड़

आमतौर पर इस मंदिर में सप्ताहांत पर 10,000 से 15,000 भक्तों की भीड़ रहती है। हालांकि, आज एकादशी होने के चलते लगभग 25,000 भक्त दर्शन के लिए आए। इससे व्यवस्था गड़बड़ा गई और महिलाओं की कतार में जगह बनाने के लिए श्रद्धालुओं में धक्का-मुक्की हुई। मंदिर के प्रशासक हरिमुकुंद पांडा ने कहा, "उम्मीद नहीं थी कि इतने सारे भक्त आएंगे। पुलिस को पहले सूचित किया गया था, लेकिन व्यवस्था संभालना मुश्किल हो गया।"

निर्माण

मंदिर परिसर में चल रहा है निर्माण कार्य

12 एकड़ में फैले इस मंदिर को अगस्त में ही दर्शन के लिए खोला गया था। इसके निर्माण में करीब 10 साल लगे थे, लेकिन अभी भी छोटा-मोटा काम चल रहा है। इस वजह से कुछ जगहों पर मचान लगा हुआ था और निर्माण सामग्री भी पड़ी थी, जिसके चलते भीड़ के लिए असुरक्षित माहौल बन गया था। पूरी तरह निर्माण न होने के बावजूद मंदिर परिसर में इतने लोगों को प्रवेश दे दिया गया।

निजी मंदिर

मंदिर निजी है, जरूरी अनुमति नहीं ली गई

अधिकारियों ने बताया कि मंदिर का संचालन निजी तौर पर किया जाता है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "यह एक निजी मंदिर है और एकादशी पर होने वाले आयोजन के लिए सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी। यह मंदिर दान विभाग के अंतर्गत नहीं आता है।" स्थानीय विधायक जी सिरीशा ने कहा, "मंदिर को मुकुंद पांडा नामक एक जमींदार ने बनवाया है। वह और उनका परिवार मंदिर की देखभाल और प्रबंधन करते हैं।"

भीड़ प्रबंधन

भीड़ को संभालने के लिए पुलिस और कार्यकर्ताओं की थी कमी

पूर्व मंत्री और स्थानीय विधानसभा से पूर्व विधायक सीदिरी अप्पालाराजू ने दावा किया कि मंदिर प्रबंधन ने भीड़ को लेकर पुलिस को सूचित किया था, लेकिन भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस बल मौजूद नहीं थे। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हर शनिवार मंदिर में स्वयंसेवा करने वाले YSRCP कार्यकर्ताओं सहित कई युवाओं ने भारी भीड़ देखी और पुलिस को बुलाया, लेकिन वहां पर्याप्त पुलिस बल नहीं भेजा गया। राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।"

FIR

अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई?

श्रीकाकुलम के पुलिस अधीक्षक (SP) केवी महेश्वर रेड्डी ने बताया कि मंदिर के प्रशासक हरिमुकुंद पांडा पर गैर-इरादतन हत्या के तहत मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि सरकार इस घटना को बेहद गंभीरता से लेगी और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को तुरंत हिरासत में लिया जाएगा। उन्होंने घटना की जांच के भी आदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री ने मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का भी ऐलान किया है।