LOADING...
ओला के कर्मचारी अरविंद कन्नन की आत्महत्या मामले की जांच बेंगलुरु की केंद्रीय अपराध शाखा करेगी
ओला के कर्मचारी की आत्महत्या मामले में बेंगलुरु की केंद्रीय अपराध शाखा जांच करेगी

ओला के कर्मचारी अरविंद कन्नन की आत्महत्या मामले की जांच बेंगलुरु की केंद्रीय अपराध शाखा करेगी

लेखन गजेंद्र
Nov 21, 2025
04:42 pm

क्या है खबर?

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में ओला इलेक्ट्रिक के कर्मचारी अरविंद कन्नन की आत्महत्या के मामले की जांच अब बेंगलुरु में केंद्रीय अपराध शाखा (CCB) को स्थानांतरित कर दी गई है। कन्नन के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पी. प्रसन्ना कुमार के नेतृत्व वाली कानूनी टीम ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह कदम कन्नन के परिवार द्वारा पुलिस अधिकारियों को दी गई शिकायत के बाद उठाया गया है।

मांग

परिवार ने निष्पक्ष और समयबद्ध जांच की मांग की

परिवार ने पुलिस महानिदेशक (DGP) और बेंगलुरु पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर पहले की जांच में विश्वास की कमी व्यक्त की थी। परिजनों का मानना ​​है कि मामले को संभालने के तरीके में गंभीर खामियां हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कथित आत्महत्या की परिस्थितियों की निष्पक्ष, स्वतंत्र और समयबद्ध जांच की मांग की है। CCB कन्नन के सुसाइड नोट की सामग्री, वित्तीय लेनदेन और शिकायत में नामित मुख्य कार्यकारी अधिकारी भाविश अग्रवाल समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी।

मामला

क्या है मामला?

अरविंद (38) ने 28 सितंबर को बेंगलुरु के चिक्कलसंद्रा स्थित अपने आवास पर जहर खा लिया था, जिसके बाद उनके दोस्त उन्हें अस्पताल ले गए, लेकिन उसी दिन उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद उनके भाई को 28 पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें ओला इंजीनियर ने सुब्रत कुमार दास और भाविश अग्रवाल पर कार्यस्थल पर उत्पीड़न और दबाव बनाने का आरोप था। नोट में अरविंद ने मानसिक प्रताड़ना, वेतन-भत्ता देने से इनकार का आरोप लगाया था।

चुनौती

कंपनी कोर्ट में चुनौती दी

घटना पर ओला ने एक बयान जारी कर अपना स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि अरविंद साढ़े 3 साल से बेंगलुरु मुख्यालय से जुड़े थे, लेकिन उन्होंने कभी कोई उत्पीड़न की शिकायत नहीं की। कंपनी ने अरविंद की भूमिका में प्रमोटर और टॉप मैनेजमेंट के किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया है। इसके साथ ही कंपनी ने अपने संस्थापक अग्रवाल और अन्य के खिलाफ हुई FIR को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है।